महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के 95 फीसदी से अधिक मामलों में आरोपी दोष साबित न होने के कारण दोषमुक्त हुए हैं। इसके अलावा प्रदेश में महिला अपराध से जुड़े 6 हजार 836 मामलों का कोर्ट में ट्रायल तक शुरू नहीं हो पाया है। कोविड के कारण इसमें और ज्यादा देरी हो रही है। यहां तक कि कुल वारदातों में महिला अपराध का हिस्सा 51.6 फीसदी रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में बीते साल महिलाओं पर हुए अपराध के दो हजार 846 मामले दर्ज हुए। जिसमें दो हजार 90 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया। दो हजार 656 लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए। इनमें मात्र 114 पर ही आरोप सिद्ध हो पाए। पुलिस 466 मामलों में सबूत और गवाह नहीं जुटा पाई है। 25 मामलों में जांच के बीच में ही समझौता हुआ। हालांकि, दुष्कर्म के पुराने मामलों में पुलिस 480 लोगों को सजा दिलाने में सफल रही।
महिला अपराध के ये हैं आंकड़े
अपराध संख्या
पति द्वारा क्रूरता 669
एसिड अटैक 01
अपहरण 810
शादी को अपहरण 64
दुष्कर्म 487
दहेज उत्पीड़न 140
नाबालिग से दुष्कर्म 396
यौन दुर्व्यवहार 157
बाल अपराध के ये हैं आंकड़े
अपराध संख्या
मर्डर 08
अपहरण 365
गुमशुदा 209
भीख मंगवाना 14
शादी के लिए अगवा 47
बाल तस्करी 05
पॉक्सो एक्ट 574
नाबालिंग दुष्कर्म 157
बाल मजदूरी 41
साइबर क्राइम 11
नाबालिगों संग दुष्कर्म की घटनाएं सबसे ज्यादा
कोविड के बीच बाल अपराध में कमी दर्ज हुई है। चिंता की बात यह है कि प्रदेश में पॉक्सो एक्ट के सबसे ज्यादा 574 मामले दर्ज हुए हैं। जिसमें से 157 मामले नाबालिग से दुष्कर्म के हैं।
महिला एवं बाल अपराध को लेकर पुलिस ज्यादा तेजी से काम कर रही है। इस तरह के मामलों में आरोपियों को सजा दिलाने का प्रतिशत अच्छा है। कोविड के कारण केस पंजीकरण, जांच, चार्जशीट और ट्रायल प्रभावित हुआ है। जनता और पुलिस के बीच कम्यूनिकेशन गैप कम हो इसके प्रयास किए जा रहे हैं।
नीलेश आनंद भरणे, डीआईजी कुमाऊं रेंज
बच्चों की सुरक्षा के साथ उन्हें सही जानकारी देना आज के जमाने में अभिभावकों की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। अभिभावक उनके दोस्त बनें और उन्हें अच्छे, बुरे का फर्क समझांए। बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें और उनसे रोजाना बात करें। माता-पिता सजग रहेंगे तो बाल अपराध को काफी कम किया जा सकता है।
युवराज पंत, बाल मनोवैज्ञानिक