कोलकाता। तृणमूल कांग्रेस ने को दोहराया कि शिकागो में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिस कार्यक्रम में हिस्सा लेना था, उस कार्यक्रम को आयोजकों ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के दबाव में आखिरी मौके पर रद किया। यह कार्यक्रम स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित किया गया था।
तृणमूल का आरोप है कि भाजपा-आरएसएस उस मौके पर शिकागो में केवल एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन चाहती थी। तृणमूल के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने गुरुवार को कहा कि शिकागो की विवेकानंद वेदांत सोसायटी ने स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर ममता बनर्जी को एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था। इसके बाद 11 जून को आयोजकों ने ममता बनर्जी को चिट्ठी लिखकर कार्यक्रम की अपनी योजना में बदलाव के बारे में सूचित किया था।
मुख्यमंत्री ने आमंत्रण स्वीकारते हुए आयोजकों को आने की पुष्टि भी की थी लेकिन बाद में पता चला कि अत्याधिक दबाव के चलते आयोजकों को मजबूर होकर कार्यक्रम रद कर दिया है। क्योंकि भाजपा-आरएसएस शिकागो में केवल एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन चाहती थी और वह कार्यक्रम विश्व हिंदू कांग्रेस के बैनर के तहत होना था और इस कार्यक्रम में मोहन भागवत को शामिल होना था।
उन्होंने कहा कि ऐसा हो सके यह सुनिश्चित करने के लिए शिकागो में विवेकानंद वेदांत मिशन पर कार्यक्रम रद करने के लिए दबाव बनाया गया।
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को बेलूर मठ में ममता ने कहा था कि मुझे साजिश के तहत शिकागो जाने से रोका गया।
विदेश मंत्रालय ने ममता के आरोपों को किया खारिज
मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी द्वारा केंद्र सरकार पर साजिश के तहत स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम में उन्हें अमेरिका के शिकागो नहीं जाने देने के आरोपों को विदेश मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ममता के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि केंद्र सरकार के पास ममता के शिकागो दौरे को मंजूरी देने के लिए कोई अनुरोध ही नहीं आया था।
उन्होंने आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि उनकी यात्रा को मंजूरी नहीं देने की खबरें सही नहीं है। उनके मंत्रालय या सरकार के पास इससे संबंधित कोई अनुरोध ही नहीं प्राप्त हुआ था।