भारत के सभी हिस्सों में बेटों को बेटियों के मुकाबले ज्यादा तव्वजो दी जाती है. बेटियों को पराया धन कहा जाता है और शादी के बाद दुल्हन की विदाई की जाती है। लेकिन, भारत के मेघालय, असम व बांग्लादेश के कुछ इलाकों में रहने वाली खासी जनजाति में इसके उलट बेटियों को ज्यादा तरजीह दी जाती है. इस जनजाति में बेटियों के जन्म पर जश्न मनाया जाता है, जबकि बेटे को होने पर कुछ खास आयोजन नहीं होता है.यह जनजाति पूरी तरह से बेटियों के प्रति समर्पित है. यह जनजाति उन तमाम समुदायों और क्षेत्रों के लिए मिसाल है, जो बेटियों के जन्म पर दुखी हो जाते हैं. आज भी बड़ी आबादी ऐसी है, जो बेटियों को बोझ मानती है. हालांकि, अब धीरे-धीरे ही सही लोगों की धारणा में बदलाव हो रहा है। खासी जनजाति में लड़कियों को लेकर कई ऐसी परंपराएं और प्रथाएं हैं।