दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि उचित मूल्य की राशन की दुकानों को लेकर खराब धारणा है, क्योंकि काला बाजारी और कदाचार पर कोई रोक नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि चोरी और कदाचार को रोकने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया गया है और दिल्ली सरकार से पूछा कि अगर उसने ऐसी सभी चीजों को रोका है तो यह राशन दुकानों के लिए क्यों नहीं किया जा सकता है।
शुक्रवार को कहा कि हम सब को उचित मूल्य की दुकानों को लेकर यह खराब धारणा है कि यहां कोई रोक-टोक नहीं है और खाद्यान्न की काला बाजारी व कदाचार होता है। हमने इसी धारणा की वजह से राशन डीलरों के पक्ष में पहले कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया।
अदालत दिल्ली सरकारी राशन डीलर्स संघ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने दिल्ली सरकार की ‘मुख्यमंत्री घर घर राशन योजना’ को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने मामले में आगे की दलीलों के लिए नौ दिसंबर की तारीख तय की है। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उन्होंने व्यवस्था में भाई-भतीजावादी कार्यप्रणाली और राशन के लीक होने को रिकॉर्ड पर रखा है और अब अधिकारियों ने एक ‘एंड-टू-एंड कम्प्यूटरीकृत प्रणाली’ स्थापित की है।
केंद्र दिल्ली सरकार की घर घर राशन योजना का विरोध कर रहा है। उसने पहले कहा था कि अदालत को किसी भी राज्य को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के ढांचे से हस्तक्षेप करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।