वर्ष 2004 के बाद से सरकारी कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिल रही लेकिन माननीयों को पेंशन जारी है। बिहार के माननीय तो पेंशन लेने में पूर्व सांसदों से भी आगे हैं।
केंद्रीय वित मंत्रालय-व्यय विभाग से पूर्व सांसदों और बिहार विधानसभा के पूर्व विधायकों की पेंशन के बारे में सूचना मांगी गई थी। आरटीआई एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय ने यह सूचना मांगी थी। दोनों जगहों से जो अद्यतन सूचना प्राप्त हुई, वह चौंकानेवाली है। एक तरफ पूर्व सांसदों को प्रतिमाह सिर्फ 25 हजार रुपये (प्रतिवर्ष दो हजार बढ़ोतरी) पेंशन मिलती है, तो दूसरी तरफ बिहार के पूर्व विधायकों को प्रतिमाह 35 हजार रुपये (प्रतिवर्ष तीन हजार बढ़ोतरी) पेंशन मिलती है। यानी प्रतिमाह और बढ़ोतरी दोनों में बिहार के पूर्व विधायक आगे हैं।
कई ऐसे माननीय हैं, जो एक सदन से वेतन ले रहे हैं और दूसरे सदन से भी। जब 30 साल सेवा देने के बाद भी कर्मचारियों को पेंशन नहीं, तो माननीय लोगों को पेंशन क्यों? नीति आयोग कह रहा है कि बिहार सबसे गरीब राज्य है, फिर माननीय अपनी पेंशन खत्म क्यों नहीं कर रहे।
आरटीआई से मिली जानकारी
● बिहार के पूर्व विधायकों को प्रतिमाह पूर्व सांसदों से ज्यादा पेंशन
● पूर्व विधायकों की पेंशन पर हर साल लगभग 61 करोड़ खर्च हो रहे हैं
औसतन ज्यादा खर्च पेंशन पर
देशभर में कुल 2722 पूर्व सांसदों (लोकसभा-राज्यसभा) को प्रतिमाह पेंशन दी जा रही है। पूर्व सांसदों की पेंशन पर प्रतिवर्ष करीब 99 करोड 22 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। दूसरी तरफ बिहार विधानसभा के सिर्फ पूर्व विधायकों की संख्या 1008 है और इनकी पेंशन पर प्रतिवर्ष करीब 60 करोड़ 73 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। इस तरह सांसदों की अपेक्षा बिहार के पूर्व विधायकों की संख्या लगभग एक तिहाई है, लेकिन पेंशन राशि में सिर्फ 39 करोड़ का अंतर है। जबकि बिहार के एमएलसी के पेंशन खर्च को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
कहां कितने पेंशनधारी पूर्व विधायक
पटना 61
मुजफ्फरपुर 51
पूर्वी चंपारण 50
गया 46
मधुबनी 43
मुंगेर 41
समस्तीपुर 41
सीतामढ़ी 38
प.चंपारण 37
रोहतास 35
कटिहार 35
भोजपुर 34
दरभंगा 33
वैशाली 33
सारण 32
नालंदा 31