सरकार बसेरा अभियान के तहत अब 77 प्रतिशत से अधिक भूमिहीन परिवारों को घर बनाने के लिए पांच डिसमिल जमीन दे चुकी है। इसके तहत सरकार अब तक 52.30 एकड़ जमीन बांट चुकी है। सबसे अधिक 50.25 एकड़ जमीन अनुसूचित जाति के भूमिहीनों के बीच बांटी गई है। इस बीच भूमि राजस्व विभाग ने फिर से सर्वे कराकर पुराने सर्वे के बाद बालिग हुए युवकों को अलग यूनिट मानकर भूमि देने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने 2014 में बसेरा अभियान की शुरुआत की थी। पहले वासभूमि रहित परिवारों को तीन डिसमिल जमीन देने की व्यवस्था हुई थी। लेकिन सरकार ने इसे बढ़ाकर बाद में पांच डिसमिल कर दिया। उस समय के सर्वे के अनुसार राज्य में मात्र एक लाख 16 हजार 695 परिवार ही ऐसे थे, जिनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं थी। ऐसे परिवारों में सबसे अधिक 70 हजार 53 परिवार सिर्फ महादलित वर्ग के थे। उसके बाद 13 हजार 295 परिवार अनुसूचित जाति वर्ग के थे। सरकार ने इसी आंकड़े के आधार पर जमीन बांटना शुरू किया। लिहाजा, लगभग तीन चौथाई से अधिक लोगों को जमीन मिल चुकी है।
बेदखली की संख्या कम करने के साथ नया सर्वे भी होगा
अनुसूचित जनजजाति में बचे लोगों की संख्या एक हजार से भी कम है। पिछड़ी जाति एनेक्चर एक के लगभग चार हजार और एनेक्चर दो के ढाई हजार परिवारों के पास अब भी वासभूमि नहीं है। हालांकि नया सर्वे होने पर इनकी संख्या में और वृद्धि होगी। लिहाजा, सरकार ने बेदखली की संख्या कम करने के साथ नया सर्वे कराने का भी फैसला किया है।