उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार के साढ़े चार साल पूरे होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को अयोध्या पहुंचे. उन्होंने सबसे पहले हनुमानगढ़ी में बजरंगबली और श्रीराम जन्मभूमि जाकर रामलला का दर्शन-पूजन किया और उत्तर प्रदेश में फिर से भाजपा सरकार की वापसी का आशीर्वाद लिया. इसके बाद दोपहर 3.30 बजे मुख्यमंत्री भाजपा ओबीसी मोर्चा की दो दिवसीय कार्यसमिति की अंतिम बैठक में शामिल होने डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय पहुंचे.
वामपंथियों ने महापुरुषों को भी जातियों में बांटा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाराजा सुहेलदेव, महाराणा प्रताप, शिवाजी, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, दुर्गावती और अनेक महापुरुषों ने समाज और देश के लिए लड़ाईयां लड़ीं, लेकिन वामपंथियों ने महापुरुषों को भी जातियों में बांट दिया. वामपंथी इतिहासकारों ने महाराजा सुहेलदेव, शिवाजी और महाराणा प्रताप को महान नहीं बताया, बल्कि अकबर को महान बताया. भगवान राम ने जब धरती को राक्षसों से मुक्त करने का संकल्प लिया तो वह अयोध्या से सेना लेकर नहीं गए थे, बल्कि पिछड़े लोगों और वानर, भालुओं के साथ राक्षसों को परास्त किया. मोदी सरकार ने पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया.
पूर्व सरकारों ने निषादराज की विरासत को भुलाया
निषादराज ने प्रभु राम, लक्ष्मण और मां सीता को अपनी नांव में सरयू पार कराया. लेकिन जाति की बात करने वालों ने कभी श्रृंगवेरपुर की फिक्र नहीं की. निषादराज की विरासत को भुला दिया गया. एक पूर्व सीएम ने कहा था अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा. राम और कृष्ण को काल्पनिक कहा जाता था, लेकिन जब रामभक्तों ने अंगड़ाई ली तो अब वही लोग खुद को रामभक्त बता रहे हैं. पहले होली होती थी तो फतवा निकल जाता था कि दोपहर 12 बजे तक ही रंग खेला जाएगा. कांवड़ यात्रा नहीं निकल पाती थी. आस्था से खिलवाड़ किया जाता था, लेकिन अब वही लोग रंग बदल कर रामभक्त बन रहे हैं. ऐसे लोगों से सावधान रहना है
चुनाव में विपक्ष को ट्विटर खेलने के लिए छोड़ना है
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में जब मेरी सरकार और भाजपा कार्यकर्ता लोगों की सेवा में लगे थे, तो विपक्ष ट्विटर पर बिजी था. आगामी विधानसभा चुनाव में विपक्ष को ट्विटर के लिए ही छोड़ना है. राज्य की अर्थव्यवस्था देश में दूसरे नंबर पर है. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी देश में दूसरे नंबर पर है. पहले नौकरियां निकलती थीं तो एक परिवार वसूली के लिए निकल पड़ता था. बीते साढ़े चार वर्षों में उत्तर प्रदेश ने सुरक्षा और सुशासन का लक्ष्य हासिल किया है. भाजपा शासनकाल में साढ़े चार लाख नौकरियां दी गईं, लेकिन किसी ने कोई शिकायत नहीं की|