जयपुर म अपराधियों ने बहुत बड़ी पैठ बना लिया है कभी kyc लेकर और कभी सिलिंडर कनेक्शन को लेकर गरीबों का लाखों का चूना लगा रहे है भी श्रम कार्ड, कभी आवास दिलाने के नाम पर तो कभी खाते से पैसा जमा निकासी एवं बैलेंस जानकारी के लिए अंगूठा लगवा कर बायोमेट्रिक फिंगर क्लोन तैयार किया जा रहा है। सूत्र के अनुसर सरकार योजनावो के लाभ दिलाने के ख़तीर ये आधार कार्ड पे अंगूठा लगते हैं और सोचने वाली बात की बात ये है कि अब बिना अंगूठा लगाए ही आधार इनेबल पेमेंट सिस्टम से खाता से पैसा निकासी हो रहा है। ताजा मामला कटियारी सोनावरण निवासी रीतलाल सिंह से संबंधित है। इस गरीब किसान के खाते से साइबर अपराधियों ने 37 हजार 300 रुपए उड़ा लिया है।
रीतलाल सिंह ने बताया कि 14 सितंबर को वह सुबह से शाम तक जंगल में पशु चरा रहा था। इस दिन वह ना बैंक गया और ना ही किसी सीएसपी के पास जाकर पैसा निकालने के लिए अपना अंगूठा लगाया। बावजूद 14 सितंबर को इलाहाबाद बैंक खाता से दस हजार एवं यूको बैंक से सात हजार तीन सौ का निकासी हो गया। इसके दूसरे दिन भी बैंक खाता से दस हजार की फिर निकासी हो गई। इसके पहले भी नौ अप्रैल को इलाहाबाद बैंक खाते से दस हजार की निकासी हो गई। जिसका आजतक कोई अता-पता नहीं चल सका है।
जयपुर क्षेत्र में यूको बैंक के 70 फीसद बैंक ग्राहक अशिक्षित हैं। इस कारण गांव-गांव में मोबाइल एप पेमेंट सिस्टम लेकर घूमने वाले शातिर उसे आसानी से अपना शिकार बना लेता है। लाकडाउन के पहले यूको बैंक खाता से निकासी सिर्फ बैंक के सीएसपी केंद्र पर ही अंगूठा लगाकर होता था। मगर लाकडाउन के दौरान सरकार की दी जाने वाली सहायता राशि भुगतान में सुविधा के लिए हर जगह पर यह सुविधा उपलब्ध करा दी गई। इसकी निगरानी और सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं की गई। यही सुविधा अब जी का जंजाल बन गया है। इसके पहले भी सिर्फ कटियारी पंचायत में एक दर्जन प्रधानमंत्री आवास लाभुकों के खाते से लाखों रुपया उड़ाया जा चुका है।
को बैंक ग्राहक सेवा केंद्र पर अगर किसी प्रकार की गड़बड़ी होती है तो बैंक जवाबदेह है। मगर अन्य बैंक या मोबाइल एप पेमेंट सिस्टम से निकासी किया गया आईडी का पता लगाना कठिन है। इसीलिए अपराधी बच जाते हैं
गांव-गांव घूमने वाले मोबाइल एप पेमेंट सिस्टम एवं स्मार्ट कार्ड आदि बनाने वाले शातिरों की कुंडली तैयार की जा रही है। ऐसे गोरख धंधा करने वाले जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे।