बेसिक शिक्षा विभाग के अवकाश प्राप्त अधिकारी संजय सिन्हा के विरुद्ध उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) की खुली जांच शुरू हो गई है। शासन की मंजूरी मिलने के बाद विजिलेंस ने शिकायतों पर साक्ष्य जुटाने और बयान दर्ज करने के लिए टीम गठित कर दी है। संजय सिन्हा विगत 31 अगस्त को निदेशक साक्षरता, वैकल्पिक शिक्षा, उर्दू एवं प्राच्य भाषाएं पद से सेवानिवृत्त हुए थे।
पूर्व में लगभग नौ वर्षों तक बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव रहे संजय सिन्हा को शासन ने पांच मार्च 2021 को निलंबित कर दिया था। साथ ही उनके विरुद्ध विभागीय जांच के साथ-साथ विजिलेंस जांच के भी आदेश दिए थे। शासन के आदेश पर विजिलेंस ने शिकायतों की जांच की। शिकायतों को गंभीर और प्रथमदृष्ट्या सही पाते हुए खुली जांच की संस्तुति के साथ अपनी शासन को रिपोर्ट भेजी। सूत्रों के अनुसार विजिलेंस की रिपोर्ट को पर शासन ने खुली जांच की मंजूरी दे दी। इसी बीच संजय सिन्हा सेवानिवृत्त भी हो गए। हाईकोर्ट ने उनके निलंबन आदेश पर पहले ही रोक लगा दी थी।
डीजी स्कूल शिक्षा ने की थी जांच
बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान विभिन्न अनियमितताओं की शिकायतों की जांच तत्कालीन महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने की थी। लगभग एक वर्ष तक चली इस जांच में संजय सिन्हा पर अनियमित रूप से लगभग एक हजार शिक्षकों के तबादलों का अनुमोदन किए जाने तथा नौ से 10 जिलों में मृतक आश्रित के रूप में अनियमित नियुक्तियां किए जाने की शिकायतें सही पाई गईं। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें निलंबित किया गया था। जांच रिपोर्ट में बहराइच, लखीमपुर खीरी, फतेहपुर, प्रयागराज, व अंबेडकरनगर समेत अन्य कई जिलों में लगातार अनुपस्थित रहने या अन्य कारणों से बर्खास्त किए गए शिक्षकों को नियमावली के विपरीत फिर से सुनवाई कर उन्हें सेवा में रहने के लिए संबंधित बीएसए को आदेश देने के आरोप को भी सही पाया गया था।