तीन नए कृषि कानूनों व फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर छिड़ा किसान आंदोलन रुकने वाला नहीं है। मौजूदा मांगें पूरी होने के बाद शेष मुद्दों पर ‘जंग’ जारी रहेगी। यह संकेत करनाल के लघु सचिवालय के समक्ष शुरू हुए अनिश्चितकालीन धरने पर भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने दिया है। उन्होंने कहा कि यह किसानों के हितों के लिए जंग की शुरुआत है। इन दोनों मांगों के पूरा होने के बाद भी आंदोलन समाप्त नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि मांगों के पूरा होने के बाद एक तरफ केंद्र सरकार व दूसरी तरफ किसान मोर्चा की कमेटी बनाने की आवाज उठाई जाएगी। आगे की लड़ाई पराली जलाने को लेकर बने नियमों, बिजली, पानी व दूध इत्यादि मुद्दों पर होगी। किसानों की तरफ से तैयार कमेटी इन मुद्दों पर किसानों की तरफ से पुरजोर पैरवी करेगी। किसानों की सुनवाई के लिए सरकार को अपनी तरफ से कमेटी बनानी ही होगी।
टिकैत ने कहा कि किसानों ने सिंघू बार्डर, शाहजहांपुर, टीकरी सहित पांच तरफ से दिल्ली को घेर रखा है। दस महीने हो चुके हैं। यह स्पष्ट है कि जब तक एमएसपी की गारंटी का कानून नहीं बनता और कृषि कानून निरस्त नहीं होते, आंदोलन समाप्त नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर के बाद करनाल में सात सितंबर को हुई ऐतिहासिक महापंचायत सदैव याद रखी जाएगी।
उन्होंने दावा किया कि मुजफ्फरनगर में करीब 20 लाख लोग महापंचायत में पहुंचे थे। तादाद इतनी थी कि जो सुबह आठ बजे चलने की सोच रहा था, वह महापंचायत स्थल तक पहुंच नहीं पाया और 22 से 35 किलोमीटर तक पीछे रह गया। हरियाणा व पंजाब से पहुंचे किसानों के काफिले को लोग गिनते रहे गए। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में आम नागरिकों व शहरवासियों ने भी किसानों के लिए दरवाजे खोले। सर्व समाज ने किसानों की सेवा में भोजन, नींबू पानी से लेकर फल तक प्रदान किए। जिससे जो बन सका, उसने वह दिया।