1918 शोक सभाएं, कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा का वृहद कार्यक्रम

पूर्व राज्यपाल व पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने का वृहद कार्यक्रम भाजपा ने बनाया है। पार्टी राज्य में भाजपा के सभी 1918 मंडलों में बड़े स्तर पर श्रद्धांजलि व शोक सभाओं का आयोजन करेगी। जिसमें प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी, कार्यकर्ता के साथ ही आमजनों की सहभागिता होगी। 

स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंचने पर प्रमुख विपक्षी दल सपा के प्रमुख अखिलेश यादव, कांग्रेस की सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा पर हमलावर हुए भाजपा के नेता अब शोक सभाओं के माध्यम से आम जनता के बीच यह संदेश देंगे कि विपक्षी दलों की मन:स्थिति क्या है? वोट की राजनीति में संवेदनाएं कैसे भूल गए हैं। धर्म व जाति विशेष के मतों के लिए पिछड़ी जमात से आने वाले देश-प्रदेश के कद्दावर नेता रहे स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने में विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने कैसे परहेज किया।

सितंबर में श्रद्धांजलि सभाओं का होगा आयोजन

श्रद्धांजलि व शोक सभाओं के आयोजन की रूपरेखा प्रदेश भाजपा खींच रही है। सूत्र बताते हैं कि श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन सितंबर में होगा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों और पार्टी पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां दी जाएंगी। अगले कुछ ही दिनों में प्रदेश भाजपा वृहद बैठक कर शोक सभाओं की तिथियों की घोषणा के साथ ही कार्यक्रम की रूपरेखा को अंतिम रूप देगी।

अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में परिवार के साथ रहेगी भाजपा

दूसरी तरफ सरकार व संगठन की सक्रियता जिस तरह स्व. कल्याण सिंह के निधन के बाद उनके अंतिम संस्कार तक दिखी थी, वही सक्रियता परिजनों द्वारा उनकी अस्थियों के विसर्जन के कार्यक्रमों में भी दिखेगी। सूत्र बताते हैं कि अस्थि विसर्जन कार्यक्रम में पार्टी उनके परिवार के सदस्यों का पूरा सहयोग करेगी। स्व. कल्याण सिंह की अस्थियां अयोध्या, काशी और प्रयागराज में विसर्जित किए जाने की बातें सामने आ रही हैं।

इमरजेंसी की यादों को ताजा करेगी काशी में अस्थि विसर्जन

स्व. कल्याण सिंह के परिजनों द्वारा अयोध्या, काशी, प्रयागराज के अलावा अन्य शहरों की नदियों में भी अस्थि विसर्जित किए जाने का कार्यक्रम तय किया जा सकता है। काशी में अस्थियां इसलिए ले जाई जाएंगी क्योंकि इमरजेंसी के दौरान कल्याण सिंह वहीं के जेल में बंद थे। रामभक्तों द्वारा विवादित ढांचा ढहाए जाने के बाद कल्याण सिंह द्वारा गोली चलाने का आदेश नहीं देने और मुख्यमंत्री की कुर्सी से त्यागपत्र दिए जाने के कारण अस्थियों को अयोध्या में विसर्जित किया जाना तय माना जा रहा है। प्रयागराज में तीन नदियों के संगम के महत्व के कारण अस्थियों को वहां भी विसर्जित करने की बातें सामने आ रही हैं।