उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग अगले महीने के अंत तक कुछ वंचित जातियों को पिछड़ी जातियों की सूची में शामिल करने या न करने पर अंतिम सुनवाई करेगा। इससे पहले इस बारे में समाचार पत्रों में आयोग की तरफ से सूचना प्रकाशित करवाई जाएगी, संबंधित पक्षों को भी नोटिस भेजा जाएगा। इसके बाद आयोग सुनवाई करेगा।
यह जानकारी आयोग के चेयरमैन यशवंत सैनी ने ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में दी। उन्होंने बताया कि दो-तीन जातियों के मामले में अदालत से भी आदेश आए हैं। उनके बारे में भी आयोग में अब अंतिम सुनवाई होनी है। इसके अलावा बागवान, गोरिया, पवरिया, पमरिया, लवादा, रूहेला व मुस्लिम भांट, महापात्रा ब्राम्हण आदि जातियों को ओबीसी सूची में शामिल करने पर भी आयोग अगले महीने अंतिम निर्णय ले सकता है।
इस बीच आयोग में एक प्रतिवेदन दाखिल किया गया है। इस प्रतिवेदन में आयोग से मांग की गई है कि ओबीसी की सूची में से मुस्लिम कायस्थ को हटाकर हिन्दू कायस्थ को शामिल किया जाए। उनका तर्क है कि मुस्लिम कायस्थ सामाजिक व आर्थिक तौर पर बहुत अच्छी स्थिति में हैं इसलिए उन्हें ओबीसी में आरक्षण की जरूरत नहीं है। उ.प्र.राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग में इस समय कुल 79 पिछड़ी जातियां ओबीसी की सूची में अधिसूचित हैं। आयोग ने अन्य 39 जातियों के प्रतिवेदनों पर विचार किया जिनमें से 24 जातियों का सर्वे और विश्लेषण का काम पूरा हो चुका है। 15 जातियों के बारे में सर्वे का काम जारी है।