
चौधरी चरण सिंह विवि ने एमबीबीएस में कथित रूप से कॉपियां बदलने की गोपनीय शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जांच कराने का फैसला लिया है। विश्वविद्यालय ने शिकायत में दर्ज तीन छात्रों की एमबीबीएस की 16 कॉपियों को जब्त कर लिया है। सभी कॉपियां जांच समिति के सामने रखी जाएंगी। प्रोवीसी प्रो. वाई विमला, प्रो.वीरपाल और प्रो. रूप नारायण की तीन सदस्यीय जांच समिति इस प्रकरण की जांच करेगी। आरोपों की पुष्टि होने पर संबंधित छात्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। शिकायत झूठी मिलने पर संबंधित छात्रों के खिलाफ भी कार्रवाई की जा सकती है।
2018 से विवादित है एमबीबीएस
2018 में एसटीएफ ने विवि में एमबीबीएस में कॉपियां बदलने का खुलासा किया था। इस प्रकरण की जांच अब एसआईटी के हाथों में है। विवि भी इस मामले में चार कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई कर चुका है। एमबीबीएस में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए मेडिकल की सभी कॉपियों की स्कैनिंग कराता है। इनका बाकायदा रिकॉर्ड रहता है। हालांकि शिकायत में नंबर बढ़वाने के जो आरोप लगे हैं उसके दायरे में मूल्यांकन के बाद चुनौती मूल्यांकन है। चुनौती मूल्यांकन में विवि में इस साल अप्रत्याशित रूप से छात्रों के दस से लेकर 20-20 नंबर तक बढ़े हैं। चूंकि मेडिकल की कॉपियां डॉक्टर चेक करते हैं। ऐसे में शुरुआती मूल्यांकन और चुनौती मूल्यांकन में इतने अधिक नंबरों का अंतर संदेह पैदा करता है। विवि एमबीबीएस परीक्षा में भी नकल के रैकेट पर नकेल कस चुका है। बीते चार वर्षों में सौ से अधिक मेडिकल स्टूडेंट पर नकल में कार्रवाई हुई है।
एमबीबीएस प्रकरण में एफआईआर की मांग सीसीएसयू कैंपस में एमबीबीएस की कॉपी बदलने के शिकायत के मामले में एडवोकेट आदेश प्रधान ने कुलपति से एफआईआर की मांग की है। आदेश प्रधान के अनुसार विवि इस प्रकरण की विस्तृत जांच कराए। नंबर बढ़ाकर डॉक्टर बनने वाले छात्र मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करेंगे।