पुलिस ने तिरंगा यात्रा की अनुमति न होने की वजह बताई। नाराज कार्यकर्ता और पदाधिकारी जवाहरनगर स्थित प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय पर धरना देने पहुंच गए।
वाराणसी में करणी सेना के कार्यकर्ताओं और पुलिस में रविवार को नोकझोंक हुई। श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना की ओर से स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा यात्रा निकाली गई। पुलिस ने अनुमति नहीं होने की वजह बताकर तिरंगा यात्रा को रोक दी। इससे नाराज करणी सेना के कार्यकर्ता और पदाधिकारी जवाहरनगर स्थित प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय पर धरना देने पहुंच गए। धरने की सूचना मिलते ही एडीसीपी काशी जोन विकास चंद्र त्रिपाठी, एसीपी भेलुपुर प्रवीण कुमार, भेलुपुर और लंका इंस्पेक्टर सहित मौके पर भारी फोर्स पहुंच गई। इस बीच कार्यकर्ताओं और पुलिस में जमकर नोकझोंक हुई। हालांकि पुलिस की सख्ती के बाद मामला शांत हुआ।
पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच घंटेभर तक गहमागहमी का माहौल रहा। करणी सेना के जिलाध्यक्ष आलोक सिंह ने बताया कि उन्होंने 11 अगस्त को कैंट थाने पर प्रार्थना पत्र देकर भोजूबीर से सिगरा स्थित भारत माता मंदिर तक तिरंगा यात्रा निकालने की अनुमति मांगी थी। प्रार्थना पत्र में कहा, रास्ते में जिन महापुरुषों की प्रतिमाएं मिलेंगी वहां कार्यकर्ता माल्यार्पण करेंगे। आलोक का कहना है कि 14 अगस्त की रात उन्हें सूचना दी गई कि तिरंगा यात्रा निकलने की अनुमति नही है।
पुलिस की ओर से कहा गया कि 5-5 लोग ही जा सकते हैं। आलोक ने कहा कि रविवार को भोजूबीर से 5-5 लोग निकले तो कचहरी स्थित आंबेडकर प्रतिमा के पास पुलिस ने उन लोगों को दो ग्रुप में बांट दिया। आलोक का आरोप है कि मकबूल आलम रोड पर एक ग्रुप के साथ पुलिस की ओर से अभद्रता की गई। उन्होंने पुलिस पर पिटाई का भी आरोप लगाया है। आलोक ने कहा कि इसी बात से नाराज होकर सभी कार्यकर्ता प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय में शिकायत करने आए थे, लेकिन यहां भी पुलिस ने अभद्रता की। धक्के देकर कार्यकर्ताओं को बाहर निकाल दिया गया।
इस संदर्भ में एडीसीपी काशी जोन विकास चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि बिना अनुमति के किसी सार्वजनिक स्थल पर कार्यक्रम नहीं किया जा सकता है। एडीसीपी ने अभद्रता से इनकार किया है। साथ ही बताया कि सड़क पर बेतरतीब खड़े वाहनों का चालान किया गया है।