राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटो और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ की तर्ज पर ‘अपने दिल की बात’ कहनी शुरू की है। उन्होंने ‘बिहार में खेल’ के लिए राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर एक आने की अपील की है तो जदयू ने कहा कि इस बारे में उन्हें पहले अपने परिवार से पूछ लेना चाहिए। दरअसल, तेजस्वी ने राज्य सरकार को जाति-धर्म से उठकर बिहार में भी खेल संस्कृति बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि प्रतिभा की कमी नहीं है। जरूरत है व्यापक स्तर पर प्रयास करने की। सरकार के प्रयासों से प्रतिभाओं तक संदेश पहुंचना चाहिए कि खेल में जीवन झोंकने से नुकसान में नहीं रहेंगे। सिर्फ खेल-खिलाड़ी ही नहीं, कोचों के प्रशिक्षण के लिए भी प्रयास होने चाहिए। दरअसल, टोक्यो ओलिंपिक में पदक जीतना तो दूर बिहार का प्रतिनिधित्व करने वाला भी कोई खिलाड़ी नहीं था।
मूल रूप से बिहार का रहने वाला एक खिलाड़ी हाकी टीम में शामिल तो था, लेकिन दूसरे मध्य प्रदेश की ओर से। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय टीम में शामिल सिवान के रघुनाथपुर के रहने वाले विवेक सागर को बधाई दी थी। विवेक के पिता मध्य प्रदेश में शिक्षक हैं और उनका पूरा परिवार वहीं रहता है। बिहार में खेल को बढ़ावा देने के लिए तेजस्वी ने कहा कि प्रशिक्षकों की बड़ी सेना तैयार कर उनसे गांव-गांव और स्कूल-स्कूल जाकर टैलेंट स्काउट के रूप में छोटी उम्र में ही प्रतिभाओं को खोजने और उन्हेंं प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। तेजस्वी ने कहा कि मेरी भावना को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाए। यह एक आम बिहारी, पूर्व खिलाड़ी और एक खेलप्रेमी की भावना है। यहां खेल-कूद से जुड़े विश्वस्तरीय आधारभूत संरचना, प्रशिक्षण सुविधाओं और सकारात्मक पहल का अभाव है। इससे प्रतिभाएं उड़ान नहीं भर पाती या फिर दूसरे राज्यों में जाकर अपने खेल को निखारती हैं।