हाफिज इब्राहिम ने राजनीति के माध्यम से 1928 में क्रांतिकारियों पर गुंडा एक्ट समाप्त करने का मुद्दा उठाया। उस समय पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा क्रांतिकारियों को गुंडा एक्ट में फंसा कर जेल भेज दिया जाता था।
बात बिजनौर जिले के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान की चल रही है तो यह हाफिज इब्राहिम के नाम के बिना पूरी नहीं होती। हाफिज इब्राहिम नगीना में जन्में थे और छात्र जीवन से ही स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े थे। उन्होंने बाद में राजनीति से जुड़कर क्रांतिकारियों पर अंग्रेजों द्वारा लगाए जा रहे गुंडा एक्ट का विरोध किया था। स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा।
हाफिज इब्राहिम का जन्म नगीना के मोहल्ला काजी सराय में हुआ था। इनके बचपन का नाम नूरुल हुदा था। इनके पिता नजमुल हुदा और मां हसमत निशा थीं। कुरान कंठस्थ करने पर इन्हें हाफिज कहा जाने लगा था। उच्च शिक्षा के लिए इन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया। वहां इन्होंने सेक्रेटरी का चुनाव लड़ा और विजय हासिल की। इन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति में प्रवेश कर लिया था। कुछ दिन नगीना मुंसफी और बिजनौर में भी वकालत की। 1919 में वह स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े। 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में डेलीगेट चुने गए। 1926 में पहली बार लेजिसलेटिव काउंसिल के सदस्य बने। वह राजनीति के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़े रहे।
उन्होंने राजनीति के माध्यम से 1928 में क्रांतिकारियों पर गुंडा एक्ट समाप्त करने का मुद्दा उठाया। उस समय पर अंग्रेजी हुकूमत द्वारा क्रांतिकारियों को गुंडा एक्ट में फंसा कर जेल भेज दिया जाता था। उन्होंने अंग्रेजी कंपनी को पूरे देश की बिजली का ठेका देने का विरोध किया था।