लखनऊ- विद्वेष फैलाने वाले भाषणों के चलते बसपा प्रमुख मायावती पर 48 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर देशव्यापी प्रतिबंध लगने के बाद से वह लगातार चुनाव आयोग पर हमलावर हैं। गुरुवार को इस पाबंदी की समय सीमा पूरी होने के बाद उन्होंने कई ट्वीट किये और चुनाव आयोग और योगी की मंदिरोंं की यात्रा पर सवाल उठाया। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर कई कटाक्ष कियेेे।
बसपा प्रमुख मायावती ने अपने पहले ट्वीट में कहा कि चुनाव आयोग की पाबंदी का खुला उल्लंघन करके यूपी के सीएम योगी शहर-शहर व मंदिरों में जाकर एवं दलित के घर का खाना खाने का ड्रामा कर रहे हैं और उसको मीडिया में प्रचारित व प्रसारित करवा कर चुनावी लाभ लेने का गलत प्रयास लगातार कर रहे हैं, लेकिन आयोग उनके प्रति मेहरबान है, क्यों? इसी क्रम में उन्होंने कहा है कि अगर ऐसा ही भेदभाव व बीजेपी नेताओं के प्रति चुनाव आयोग की अनदेखी व गलत मेहरबानी जारी रहेगी तो फिर इस चुनाव का स्वतंत्र व निष्पक्ष होना असंभव है। इन मामलों मे जनता की बेचैनी का समाधान कैसे होगा? बीजेपी नेतृत्व आज भी वैसी ही मनमानी करने पर तुला है जैसा वह अबतक करता आया है, क्यों?
उन्होंने लिखा कि माननीय सुप्रीम कोर्ट की यह संतुष्टि काफी महत्वपूर्ण है कि चुनाव आयोग उतना लाचार व कमजोर नहीं है जितना वह अपने आपको साबित कर रहा था। लेकिन, इस तथ्य व आमधारणा की सही जांच व परख होनी बाकी है कि आयोग वाकई स्वतंत्रता व निष्पक्षता से काम कर रहा है एवं केंद्र के आगे नतमस्तक नहीं है?
उन्होंने फिर भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि आज दूसरे चरण का मतदान है और बीजेपी व पीएम श्री मोदी उसी प्रकार से नर्वस व घबराए लगते हैं जैसे पिछले लोकसभा चुनाव में हार के डर से कांग्रेस व्यथित व व्याकुल थी। इसकी असली वजह सर्वसमाज के गरीबों, मजदूरों, किसानों के साथ-साथ इनकी दलित, पिछड़ा व मुस्लिम विरोधी संकीर्ण सोच व कर्म है। उन्होंने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि देश भर में व ख़ासकर उत्तर प्रदेश के सर्वसमाज के मतदाताओं, युवाओं व महिलाओं से अपील है कि वे लोकसभा के लिए आज हो रहे दूसरे चरण के मतदान में भी वोट डालने के अपने संवैधानिक हक का भरपूर इस्तेमाल करें।
उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि विपक्ष को अनेकों प्रकार के उत्तेजनाओं के बावजूद एक-दूसरे पर टिप्पणी करने के मामले में शालीनता की सीमा नहीं लांघनी चाहिए। इससे बीजेपी को अपनी कमजोरी छिपाने व लोगों को बरगलाने का मौका मिल जाता है। वैसे भी सत्ताधरी पार्टी पर आयोग की पकड़ सख्त होगी तभी जनविश्वास पैदा होगा।
ये कहा था मायावती ने
सात अप्रैल को देवबंद, सहारनपुर में गठबंधन की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा था कि मुसलमान अपने वोट बंटने न दें। एकमुश्त गठबंधन प्रत्याशी को वोट करें। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने 11 अप्रैल को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था। आयोग उनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ। 48 घंटे चुनाव प्रचार से रोके जाने पर बसपा प्रमुख मायावती ने भारत निर्वाचन आयोग पर पक्षपातपूर्ण फैसले का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि आयोग ने भाजपा के लिए आंख-कान बंद कर रखे है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को पूरी छूट दे रखी है लेकिन, दलित नेता पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने आयोग पर जातिवाद का आरोप भी लगाते हुए फैसले पर पुनर्विचार की मांग भी की। चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ मायावती सुप्रीम कोर्ट भी गईं लेकिन वहां से भी उनको राहत नहीं मिली थी।