रामनवमी पर पश्चिम बंगाल में सियासत एक बार फिर तेज हो गई है. कोलकाता पुलिस ने राम नवमी के अवसर पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यकर्ताओं को बाइक रैली निकालने की इजाजत नहीं दी है. पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद की बाइक रैली शुरू होने के ठीक पहले इजाजत देने से मना कर दिया.
विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं से कहा गया था कि वे रैली के दौरान राम की केवल एक ही तस्वीर का इस्तेमाल करेंगे. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं में रैली करने की इजाजत रोक दिए जाने पर भारी रोष है. पुलिस की रैली रोके जाने के बाद विहिप सदस्यों ने राम की तस्वीर के साथ भगवे झंडे के साथ स्थानीय रैली निकालने की कोशिश की.
विहिप की यह रैली दक्षिण बंगाल में व्यापक तौर पर होने वाली थी. विहिप ने दावा भी किया था कि इस बार की रैली में हथियारों का प्रदर्शन बिलकुल भी नहीं किया जाएगा. विहिप के संगठन सचिव सचिंद्रनाथ सिन्हा ने कहा था, ‘हमारी संस्था की अधिकृत रैली में पुलिस के दिए गए आदेशों का पालन किया जाएगा. इस रैली में कोई भी हथियार लेकर नहीं आएगा.’
सचिंद्रनाथ ने दावा किया था कि दक्षिम बंगाल में विहिप की 700 छोटी और बड़ी रैलियां करने की योजना है. चुनाव की वजह से उत्तर बंगाल में कम रैलियां प्रस्तावित की गई थीं.
विहिप की इस रैली का कनेक्शन भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) से भी जोड़ा गया. हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था कि बीजेपी चुनावों के दौरान सांप्रदायिक माहौल देकर अपने पक्ष में माहौल बना रही है.
इससे पहले सिलिगुड़ी पुलिस ने राहुल गांधी के हेलिकॉप्टर की लैंडिंग कराने से मना कर दिया था जिसके बाद कांग्रेस ने सिलीगुड़ी में होने जा रही रैली को रद्द कर दिया था. पुलिस ने इसके पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया था.
बहुत संवेदनशील है पश्चिम बंगाल
पिछले साल 26 मार्च, रामनवमी के एक दिन बाद पश्चिम बंगाल के आसनसोल में रामनवमी के दिन भड़की सांप्रदायिक हिंसा की चर्चा पूरे देश में हुई थी. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र किया गया था कि राम नवमी के जुलूस के दिन बजाए जा रहे गानों को लेकर विवाद हुआ था जिसके बाद दंगा भड़का.
पहले रामनवमी के जुलूस पर पत्थरबाजी हुई फिर एक गाड़ी को आग लगा दी गई थी. इस घटना के बाद आसनसोल में भड़का सांप्रदायिक हिंसा राज्यव्यापी हो गई. इस घटना पर खूब बयानबाजी और सियासतबाजी की गई.
इस सांप्रदायिक दंगे में महेश मंडल की रानीगंज में और सिबतुल्ला रशीदी की आसनसोल में मौत हो गई थी. दो संप्रदायों के बीच हुई इस झड़प में कई लोग घायल भी हुए थे और कई घरों और दुकानों को दंगाईयों में आग लगा दी थी.