लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections) –के दौरान उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मौजूदा करीब एक चौथाई सांसदों का पत्ता काट सकती है। ताकि, व्यक्तिगत तौर पर एंटी-इन्कम्बैन्सी का सामना कर रहे उन नेताओं के चलते पार्टी को चुनाव में नुकसान का सामना न करना पड़ा। पूरे मामले से वाकिफ सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उत्तर प्रदेश वह राज्य है जहां से संसद के निचले सदन के 543 सदस्यीय लोकसभा में सबसे ज्यादा 80 सांसद चुनकर आते हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम और उत्तर भारत में दमदार प्रदर्शन के चलते सत्ता में आई। यूपी में बीजेपी को 71 सीटों पर जीत मिली थी।
लेकिन, उसे उपचुनाव के दौरान तीन सीट- गोरखपुर, फूलपुर और कैराना में एकजुट विपक्ष के आगे करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। इस जीत से उत्साहित समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने 11 अप्रैल से शुरू होने जा रहे आम चुनाव के लिए राज्य में आपसी गठबंधन कर लिया। बीजेपी के खाते में 2017 विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत वोट शेयर आए थे जबकि सपा-बसपा के खाते में 44 प्रतिशत वोट गए थे।
सूत्र ने बताया कि बीजेपी ने कई स्तरों और अलग-अलग लोगों से प्रदर्शन की समीक्षा कराई है ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि मौजूदा सांसद के दोबारा जीतने की कोई संभावना है भी या नहीं। सूत्र ने बताया- “कम से कम ऐसे 20 से 25 सांसद है जो व्यक्तिगत तौर पर बड़े एंटी इन्कम्बैन्सी फैक्टर का सामना कर रहे हैं। हमें उन्हें बदलने की जरूरत है।”
सूत्र ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय के साथ ही पार्टी ने सभी बीजेपी नेताओं से कहा है कि वह पिछले पांच वर्षों के दौरान किए गए विकास और संगठनात्मक कार्यों को साझा करें। सूत्र ने बताया कि बीजेपी को संगठन से भी फीडबैक मिला है जबकि पिछले एक वर्षों के दौरान एजेंसी से भी अलग-अलग सीटों का सर्वे कराया गया है।
सूत्र ने बताया- “2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के चलते कई मौजूदा सांसद लोकसभा चुनाव जीते। लेकिन, पिछले पांच वर्षों के दौरान उनका काम संतोषजनक नहीं रहा। वे लोग लगातार पीएम को सपोर्ट कर रह हैं लेकिन हम किसी तरह का ऐसे सांसद को दोबारा मैदान में उतारकर जोखिम नहीं लेना चाहते हैं।”