चंडीगढ़ (ललित कुमार). लगभग दो साल पहले बठिंडा के मौड़ मंडी में विवाह समारोह के दौरान गोली लग जाने से डांसर की मौत के मामले पर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से जवाब मांगा कि इस मामले में हत्या के आरोपों को लेकर सुनवाई क्यों नहीं की गई। जस्टिस एबी चौधरी और अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने कहा कि पीड़ित अथवा अभियोजन पक्ष के साथ यह नाइंसाफी है कि हत्या के आरोप के तहत केस पर सुनवाई नहीं की गई।
खंडपीठ ने कहा कि हत्या, गैरइरादतन हत्या या दुर्घटना यह देखना पुलिस का काम नहीं है। सुनवाई पूरी होने के बाद यह यह तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है। मौजूदा मामले में पुलिस विभाग ने ही यह तय कर लिया कि एक्सीडेंट का मामला है जबकि यह देखना चाहिए था कि लड़की की मौत गोली लगने से हुई।
खंडपीठ ने पंजाब सरकार के गृह विभाग को भी निर्देश दिया कि प्रॉसीक्यूशन डिपार्टमेंट के उन पुलिस अफसरों की पहचान की जाए जिन्होंने आईपीसी की धारा 304 व 336 के तहत इसे गैरइरादतन हत्या का मामला मान लिया। गौरतलब है कि चार दिसंबर 2016 को मौड़ पुलिस स्टेशन में पुलिस ने पहले इस मामले में हत्या का मामला दर्ज किया था। आरोपी स्टेज पर चढ़ा और पिस्टल निकाल कर फायर किया जिसमें डांसर को गोली लग गई और वह मौके पर ही मर गई। पुलिस ने इस मामले को बाद में गैर इरादतन हत्या का मामला बना दिया। ज्ञातव्य है कि बठिंडा कोर्ट के फैसले के खिलाफ मृतक की मां ने हाईकोर्ट में अर्जी दायर कर इसे हत्या का मामला बनाए जाने की मांग की है।