भास्कर एक्सपोज / 50 रुपए खर्च, 10 मिनट में शैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज, कलर मिलाया और बन गया दूध

भागलपुर (संजय कुमार). दूध में पानी मिलाने, यूरिया और फार्मोलिन डालकर बेचने का फार्मूला अब पुराना हो चुका है। अब दूध कारोबारी नकली दूध बनाकर उसे असली दूध में मिलाकर धड़ल्ले से बेच रहे हैं। यह नकली दूध सैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज और फैब्रिक्स कलर के मिश्रण से बनता है जो बिल्कुल असली दूध की तरह दिखता है। 50 रुपए के खर्च में कारोबारी इसे इस तरह तैयार करते हैं कि लैक्टोमीटर भी दूध को सही बताता है। इसकी पुष्टि तब हो गई, जब इसे विक्रमशिला दुग्ध डेयरी (सुधा) के प्लांट में लैक्टोमीटर पर चेक किया गया। इसमें अमूमन 3.2 स्केल आने पर दूध शुद्ध माना जाता है। मिलावटी दूध को जब लैक्टोमीटर पर मापा गया तब इसका 4.0 स्केल आया। इस दूध को भी शुद्ध माना गया। इस दूध को असली दूध में मिलाकर बिहार और झारखंड के विभिन्न इलाकों में बेचा जाता है।

बिहार-झारखंड के बॉर्डर पर नदी किनारे का बकिया गांव नकली दूध तैयार करने के लिए फेमस है। यहां जितने भी दूध कारोबारी हैं, वे असली दूध में हिसाब से नकली दूध का मिश्रण कर नाव, ट्रेन व साइकिल से दूर-दराज के इलाकों में बेचते हैं। दाम कम होने के कारण इस दूध की सबसे ज्यादा खपत चाय व मिठाई की दुकानों में होती है। भास्कर टीम को कुछ दिन पहले भागलपुर में एक दुकानदार ने बताया कि नकली दूध के कारोबारी उसके यहां से सैंपू, रिफाइन, ग्लूकोज और फैब्रिक्स कलर खरीद कर नकली दूध बनाते हैं। इसके बाद टीम बकिया गांव पहुंची और कारोबारी राधे यादव से बात की। उसने पहचान छुपाने की शर्त पर नकली दूध के पूरे फार्मूले को बताया।

ऐसे बनता है नकली दूध

पहले ऊनी कपड़े धोने की लिक्विड ईजी को साफ बरतन में रिफाइन के साथ मिलाया जाता है, फिर ग्लूकोज डाला जाता है। दो से चार मिनट मिश्रण के बाद पानी मिलाया जाता है। अंत में फैब्रिक्स डालकर सफेद कलर को बिल्कुल दूध जैसा बनाया जाता है। दस मिनट में नकली दूध तैयार हो जाता है। सौ लीटर दूध में 20 लीटर नकली दूध मिलाया जाता है। इस दूध को बनाने में तीन से चार लोग शामिल होते हैं।

दियारा में दो फार्मूला

फार्मूला नंबर 1 : बड़े बर्तन में शैंपू डालकर उसमें आधा लीटर रिफाइंड ऑयल मिलाया जाता है। फिर आधा लीटर असली दूध डाला जाता है। गाढ़ा करने के लिए चीनी का बुरादा और एक बाल्टी पानी मिलाया जाता है। इससे उतनी ही घी या खोआ मिलता है। जितना असली से।

फार्मूला नंबर 2 : ईजी लिक्विड में सिंघारे का आटा और रिफाइन ऑयल मिलाया जाता है। फिर खाने का सोडा, मिल्क पाउडर, ग्लूकोज और थोड़ी सी इलाइची का पानी मिलाया जाता है।

ऐसे करें नकली दूध की पहचान

  • 1. यदि दूध उबालने के बाद उसकी छाली प्लास्टिक जैसी पतली उतरे तब समझिए दूध में मिलावट है।
  • 2. टाइल्स के टुकड़े पर कच्चे दूध की कुछ बूंदें गिराएं। यदि एक लाइन में उसकी धार नहीं गिरती है तब समझिए दूध में मिलावट है।
  • 3. अरहर की दाल के पाउडर को पांच मिनट तक कच्चा दूध में डालें। यदि रंग लाल होता है तो समझिए कि दूध में मिलावट है।
  • 4. बरतन या टेस्ट ट्यूब में थोड़ा दूध लें और पानी मिलाएं, फिर हिलाएं। अगर सर्फ, सैंपू होगा तो हल्का झाग बनेगा।
  • 5.दूध में एक-दो बूंद आयोडिन टिंचर डालें। यदि दूध का रंग हल्का ब्लू दिखता है तो समझें नकली का मिलावट है।
  • 6. दो अंगुलियों के बीच दूध की बूंदें लें और उसे मसलें। साबून जैसी फील आएगी और अंगुलियों में लगा दूध हल्का पीला दिखेगा।
  • 7. कच्चा दूध यदि चखने पर कड़वा लगे या दूध का रंग पीला दिखे तो वह असली नहीं होगा।

कारोबारी राधे यादव से बातचीत

कहां से यह तकनीक सीखी?
-दिल्ली-हरियाणा से। पांच साल पहले चार-पांच साल तक वहां नकली दूध कारोबारियों के साथ था। वहीं से सीखी।

इस कारोबार से रोज कितना फायदा होता है?
-50 रुपए की पूंजी में एक हजार फायदा होता है।

दूध कहां-कहां सप्लाई करते हैं?
-भागलपुर के अलावा झारखंड के साहेबगंज, कटिहार आदि इलाकों में।

आपके जैसे कितने लोग इस कारोबार में हैं?
-करीब-करीब सौ लोग।

असली में नकली का पता चल गया तो?
-नहीं पता चलेगा। लेक्टोमीटर पर भी हमारा दूध सही पाया जाएगा।

मिलावटी दूध की शिकायत मिलने पर उसे पटना लैब भेजा जाता है। रिपोर्ट में मिलावट के प्रमाण मिलने पर संबंधितों के खिलाफ भारतीय खाद्य संरक्षा मानक अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। इस मामले में भी सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे और गलत पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। -माे. इकबाल, जिला अभिहित पदाधिकारी, फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड ऑथोरिटी ऑफ इंडिया, भागलपुर।