नई दिल्ली – सार्वजनिक क्षेत्र का स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अपने पर्सनल फाइनेंस पोर्टफोलियो के अंतर्गत काफी सारे प्रोडक्ट्स की पेशकश करता है। फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) से लेकर पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) बैंक अपने ग्राहकों को उनकी जरूरत के हिसाब से काफी सारे विकल्प उपलब्ध करवाता है। यह जानकारी एसबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर दर्ज है। एसबीआई अपनी एफडी पर सभी मैच्योरिटी के लिए 5.75 से 7.35 की रेंज में ब्याज दर उपलब्ध करवाता है। एफडी पर मिलने वाली ब्याज दर अलग अलग बैंक में अलग अलग होती है।
फिक्स्ड डिपॉजिट – एसबीआई के एफडी अकाउंट में जमाकर्ता लंप-सम (एकमुश्त) राशि जमा कराकर गारंटी रिटर्न की सुविधा का फायदा उठा सकते हैं। इसके साथ ही ग्राहकों को अपनी पसंद के मुताबिक ब्याज के भुगतान और ओवरड्राफ्ट के जरिए लिक्विडिटी एवं मैच्योरिटी पूर्व निकासी के विकल्प को चुनने का मौका मिलता है। बैंक ने हाल ही में एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों में संशोधन किया है। नई दरें 28 नवंबर 2018 से प्रभाव में आ चुकी हैं। बैंक तमाम तरह की एफडी स्कीम्स ऑफर करता है।
रेकरिंग डिपॉजिट – एसबीआई के मुताबिक, रेकरिंग डिपॉजिट एक ऐसा उत्पाद है जो कि ग्राहकों को मासिक आधार पर जमा के साथ बचत का विकल्प उपलब्ध करवाता है। यह एक राशि एक अवधि के बाद मैच्योर हो जाती है। एसबीआई के रेकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दर फिक्स्ड डिपॉजिट के समान ही होती है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड – स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) अपने ग्राहकों को काफी सारे फायदों के साथ पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) खाता खोलने का मौका देता है। आप एसबीआई के इस खाते को कहीं से भी और कभी भी खोल सकते हैं। आप एसबीआई की किसी भी बैंक शाखा से इस खाते को अपने नाम पर या फिर नाबालिग के नाम पर खुद ही खुलवा सकते हैं। इस खाते में एक साल के भीतर न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1,50,000 रुपये जमा करने की अनुमति है। खाताधारक इसमें एक साल के भीतर इससे ज्यादा रकम नहीं जमा करवा सकते हैं। इसमें या तो एकमुश्त या फिर 12 किश्तों में रकम जमा करवाई जा सकती है।
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS): एसबीआई के एनपीएस अकाउंट को 18 वर्ष से 65 वर्ष तक का कोई भी व्यक्ति खुलवा सकता है। एनपीएस खाते में एक साल के भीतर 6000 रुपये मेंटेन करने होते हैं। एक वित्त वर्ष के दौरान एनपीएस खाते में किया जाने वाला 2 लाख रुपये तक का निवेश आयकर की धारा 80CCD(1) और Section 80CCD(2) के अंतर्गत छूट के दायरे में आता है। पीपीएफ की तुलना में एनपीएस में ज्यादा लंबा लॉकइन पीरियड होता है और इसका कॉर्पस 60 वर्ष की उम्र तक लॉक रहता है। हालांकि 60 वर्ष की उम्र से पहले भी निकासी की अनुमति होती है। एनपीएस में जो तरह के खाते होते हैं: टियर-1 और टियर-2। टियर-1 एनपीएस अकाउंट एक पेंशन अकाउंट होता है जिसमें निकासी की अनुमति नहीं होती है, जबकि टियर-2 अकाउंट को निवेश अकाउंट माना जाता है। इसमें निकासी की अनुमति होती है। टियर-1 एनपीएस अकाउंट में टैक्स बेनिफिट की सुविधा मिलती है जबकि टियर-2 एनपीएस अकाउंट में कोई भी टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है।