लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में उम्मीदवारों को लेकर अनिश्चितता बरकरार

चुनावी -रणभेरी बज चुकी है लेकिन न तो एनडीए व न ही महागठबंधन में उम्मीदवारों की घोषणा अब तक हो सकी है। उम्मीदवारों की कौन कहे, सत्ताधारी दलों ने सीटों का चयन भी नहीं किया है कि वह कहां से चुनाव लड़ेंगे। वहीं महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी अधर में है। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, तो पार्टी इसी संघर्ष में जुटी है कि पसंदीदा सीटें ही उसके हिस्से में आएं। दिल्ली में इसे लेकर लगातार मंथन तो चल रहा है, लेकिन इस मंथन से अभी कुछ नहीं निकला है।

उधर, एनडीए के तीनों घटक दल भाजपा, जदयू व लोजपा के टिकटार्थियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। चुनाव आयोग की ओर से तिथि तय होते ही अब सबों को अपनी-अपनी पार्टी की ओर से घोषित होने वाली उम्मीदवारों की सूची का बेसब्री से इंतजार है। एनडीए के घटक दल लोजपा, जदयू और भाजपा कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसकी घोषणा हुए महीने भर होने को है। घटक दलों ने आपसी बैठकों के बाद तय कर लिया कि जदयू- भाजपा 17-17 तो लोजपा छह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन तीनों पार्टियां कौन-कौन सी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह तय नहीं हो सका है।

भाजपा के दो सांसद कीर्ति आजाद कांग्रेस में चले गए तो शत्रुघ्न   सिन्हा अभी उसी राह हैं। भोला सिंह इस दुनिया में नहीं रहे। बाकी 19 सांसदों में कम से कम दो सांसदों का टिकट नहीं मिलना तय है। भाजपा द्वारा पटना साहिब से उम्मीदवार उतरना तय है। इसके अलावा पार्टी दो-तीन ऐसी सीटों पर भी चुनाव लड़ने को तैयार है जहां से वह पिछली बार चुनाव हार चुकी थी। वहीं दो-तीन सीट घटक दलों के हिस्से में भी जाना तय माना जा रहा है। ऐसे में संभव है कि मौजूदा सात-आठ सांसदों का टिकट कट जाए। दल में ऐसी स्थिति के कारण सबसे अधिक सांसदों वाली पार्टी भाजपा के नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं।

जदयू के अभी दो सांसद ही हैं। नालंदा के कौशलेन्द्र कुमार और पूर्णिया के संतोष कुमार को टिकट मिलना तय माना जा रहा है। लेकिन इस बार पार्टी 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। 2014 में जदयू के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले इस बार भी खम ठोक रहे हैं। वहीं दल में शामिल कुछेक नए नेताओं का भी दावा है। नेताओं की मानें तो सीटों के चयन में जदयू उम्मीदवारों को ही प्राथमिकता दे रहा है। केवल सीट लेना जदयू का मकसद नहीं है। कोशिश है कि जिताऊ उम्मीदवार उतारे जाएं।

लोजपा के छह सांसद हैं। इसमें दो के बागी तेवर दिख रहे हैं। वहीं पार्टी सुप्रीमो रामविलास पासवान चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस तरह छह में से तीन सांसदों रामचंद्र पासवान, चिराग पासवान और वीणा देवी का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। लेकिन बाकी तीन सीटों पर कौन उम्मीदवार होंगे, लोजपा में इसकी लॉबिंग जोरों पर है।

कांग्रेस-राजद में नूरा-कुश्ती का सिलसिला है जारी
दूसरी ओर, कांग्रेस किसी भी तरह सीटों के अपने पिछले आंकड़े (12 सीट) पर पहुंचने की जुगत में है, लेकिन इसमें सफलता मिलती नहीं दिख रही। हालांकि पार्टी के करीब आधा दर्जन चेहरे लगभग तय माने जा रहे हैं। कांग्रेस कोटे में सासाराम सीट से मीरा कुमार, कटिहार से तारिक अनवर, सुपौल से रंजीत रंजन, आदि नाम चर्चा में है। दरभंगा से कांग्रेस के पास मौजूदा सांसद कीर्ति झा आजाद हैं, लेकिन अभी इस सीट पर महागठबंधन का पेच फंसा हुआ है। विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी भी यहीं नजर लगाए हुए हैं। तमाम मशक्कत के बाद भी  सीट बंटवारे को लेकर राजद-कांग्रेस के बीच अभी बात फाइनल नहीं हो सकी है। सीट बंटवारा न होने की स्थिति में वामदल और हम भी लगातार चेतावनी दे रहे हैं।