दिल्ली में ड्रग्स की बिक्री के लिए अपराधी नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इस गैरकानूनी धंधे में मासूम बच्चों को उतारा जा रहा है। नशीले पदार्थ बेचने के एवज में बच्चों को 300 रुपये की दिहाड़ी पर रखा जा रहा है। इस बात का खुलासा एक 12 वर्षीय बच्चे ने स्मैक की बिक्री करते पकड़े जाने पर किया।
बच्चे को जब किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया तो उसने बताया कि वह अकेला नहीं है। कई और बच्चे दिहाड़ी पर स्मैक की बिक्री करते हैं। इस खुलासे के बाद किशोर न्याय बोर्ड के प्रिंसिपल जज की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया। पुलिस ने तफ्तीश के बाद भलस्वा डेयरी इलाके से तीन महिलाओं को भी गिरफ्तार किया, जो बच्चों को स्मैक बेचने के लिए तैयार करती थीं। आरोपी महिलाएं 8 से 14 साल तक के बच्चों को खास तौर पर निशाना बनाती थीं, क्योंकि इस उम्र के बच्चे आसानी से उनके चंगुल में आ जाते थे। पुलिस द्वारा पकड़े गए बच्चे ने किशोर न्याय बोर्ड में बताया कि उन्हें ड्रग्स की बिक्री के एवज में रोजाना 200 से 300 रुपये दिए जा रहे थे। जांच में पता चला कि नशे के कारोबार में शामिल बच्चे निहायत ही गरीब घरों के हैं।
महिला से नशीले पदार्थों के 40 पैकेट बरामद
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, किशोर न्याय बोर्ड के आदेश पर भलस्वा डेयरी थाने में मुकदमा दर्ज करने के बाद जब आरोपी महिला 60 साल की मकसूदा बीबी को गिरफ्तार करने गए तो उसके पास से ड्रग्स के 40 पैकेट बरामद किए गए। आरोपी महिला के खिलाफ मादक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत अलग से मुकदमा दर्ज किया गया। मामले में रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बिमला कुमारी की अदालत के समक्ष सुनवाई हुई।
आरोपी वृद्धा को राहत देने से इनकार
अदालत ने 60 वर्षीय आरोपी महिला मकसूदा बीबी को राहत देने से इनकार कर दिया है। मकसूदा ने वृद्धा अवस्था का हवाला देते हुए राहत की मांग की थी। अदालत ने कहा कि वह जिस अपराध को अंजाम दे रही थी, उससे आने वाली कई पीढ़ियों का भविष्य खराब हो जाएगा। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि नशे के नेटवर्क की विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाए। इसके अलावा नशीले पदार्थों के कारोबार में पकड़े जाने वाले प्रत्येक आरोपी के साथ सख्ती बरती जाए।