देश में कांच की दीवार और छत वाली ‘विस्टाडोम-कोच’ की लोकप्रियता को देखते हुए रेल मंत्रालय ने कालका शिमला रूट पर पहली विस्टाडोम कोच को 15 दिसंबर से शुरू करने का फैसला किया है। उत्तर भारत में नैरोगेज रूट पर यह पहली बेसिक विस्टाडोम है, देश के किसी भी हिस्से से ऑनलाइन टिकट की बुकिंग हो सकेगी और इसका किराया ‘डीलक्स-कोच’ से कुछ अधिक हो सकता है।
उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि ‘विस्टाडोम-कोच’ की दीवारें और छत कांच की होगी, जिससे सर्दियों में होने वाली बर्फबारी और बारिश का मजा रेलयात्री चलती ट्रेन उठा सकेंगे। एक कोच में 35 यात्रियों के बैठने की क्षमता है और प्रति यात्री 500 किराया हो सकता है। फिलहाल इस कोच में कैटरिंग और टॉयलेट की सुविधा नहीं होगी और टॉय ट्रेन की रफ्तार 25 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी।
अंबाला के डीआरएम दिनेश चंद शर्मा ने कहा कि यह कोच उनके ही सिक लाइन (जहां गाड़ियां ठीक होती हैं) में तैयार की गई है। पुराने कोच को ‘विस्टादोम-कोच’ में बदलने पर करीब 10 लाख का खर्चा आया है। लिहाजा ‘विस्टाडोम-कोच’ में किराए का निर्धारण कोच पर आने वाली लागत से किया जाएगा। इसका किराया डीलक्स कोच से कुछ ज्यादा होने की संभावना है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, किराया करीब 500 रुपये रखे जाने की संभावना है। उन्होंने बताया विस्टाडोम के दूसरे वर्जन में टॉयलेट होगा।
विस्टाडोम-कोच’ की खासियत
इस कोच में कांच की दीवारें और कांच की छत बनाई गई है, जिससे पर्यटक सफर के दौरान वादियों चौतरफा नजारे का लुफ्त उठा सकें।
अभी कहां चल रहे हैं ‘विस्टाडोम-कोच’
उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी दीपक कुमार ने बताया कि अभी विस्टाडोम कोच विशाखापट्टनम -दार्जलिंग, अरकू वैली और महाराष्ट्र में दादर-करमाली के बीच पर्यटक के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।