देश के उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने आज करतारपुर कॉरिडोर की आधारशिला रखी। इसके साथ ही सिख श्रद्धालुओं का 70 साल लंबा इंतजार खत्म हो गया। सिख समुदाय के लिए करतार साहब काफी मायने रखता है। यह सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां गुरुनानक देव ने अपने जीवन के 18 साल बिताए।
कॉरिडोर बनने के बाद श्रद्धालु खुद गुरुदासपुर जिले से करतारपुर साहिब जाकर दर्शन कर सकेंगे। फिलहाल यह स्थल पाकिस्तान में भारतीय सीमा से करीब चार किलोमीटर दूर है और अभी पंजाब के गुरदासपुर में डेरा बाबा नानक बॉर्डर आउटपोस्ट से दूरबीन से श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
शिलान्यास के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। समारोह में उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के साथ पंजाब के गवर्नर वीपी सिंह बदनौर, सीएम कैप्टन अमिरंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, कैबिनेट मंत्री सुखिजंदर सिंह रंधावा, कैबिनेट विजय इंद्र सिंगला, सुखबीर सिंह बादल, पंजाब कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ समेत अन्य कई राजनीतिक शख्सियतें उपस्थित रहे।
शिलान्यास कार्यक्रम में बोलते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान को खुली चेतावनी दे डाली। कैप्टन ने कहा कि मैं पाकिस्तान के आर्मी चीफ कमर बाजवा से एक वाल पूछना चाहता हूं। एक सैनिक होने के नाते वे जवाब दें कि कौन सी सेना दूसरे के जवानों को मारने और दूसरे देश में हिंसा फैलाने को कहती है।
कैप्टन ने कहा कि कौन सी सेना पठानकोट और अमृतसर में लोग भेजकर हमला करने को कहती है। मैं पाकिस्तान को चेतावनी देना चाहता हूं कि हम पंजाबी हैं और हम आपको अपने देश का माहौल खराब करने नहीं देंगे। अगर फिर भी ऐसा किया गया, तो मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।
वहीं कार्यक्रम से पहले ही पंजाब सरकार में मंत्री एसएस रंधावा ने एक गजब का कारनामा कर दिया। मंत्री ने नींव पत्थर पर लिखे अपने नाम और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाम पर काली टेप लगा दी। इस समय सरकार के मंत्री विरोध स्वरूप स्टेज के सामने बैठे हैं और विरोधी नारेबाजी कर रहे हैं। ऐसा करने का कारण पूछे जाने पर मंत्री रंधावा ने बताया कि नींव पत्थर पर प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल के नाम के विरोध में उन्होंने ऐसा किया। उन्होंने सवाल उठाया कि नींव पत्थर पर उनके नाम क्यों हैं? वे इसका हिस्सा नहीं हैं और न ही ये अकाली और बीजेपी का इवेंट है।
क्यों खास है करतारपुर साहिब
सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव ने करतारपुर साहिब में अपने जीवन के 18 साल लगाए। श्री करतापुर साहिब गुरुद्वारे को पहला गुरुद्वारा माना जाता है जिसकी नींव श्री गुरु नानक देव जी ने रखी थी। हालांकि बाद में रावी नदी में बाढ़ के कारण यह बह गया था। इसके बाद वर्तमान गुरुद्वारा महाराजा रंजीत सिंह ने बनवाया था।
करतारपुर साहिब भारतीय सीमा से कुछ किलोमीटर दूर पाकिस्तान में है। यहां हर साल काफी श्रद्धालु आते हैं। लंबे समय से एक कॉरिडोर बनाकर इसे भारत के गुरदासपुर से जोड़ने की मांग हो रही थी। गुरुवार को भारत और पाकिस्तान दोनों ने अपने-अपने क्षेत्र में कॉरिडोर बनाने की बात कही थी। अरुण जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक से पाक सीमा तक कॉरिडोर बनाया जाएगा।
करतारपुर साहिब कॉरिडोर को लेकर उस वक्त सियासत गरमाई थी, जब नवजोत सिद्धू जुलाई में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ समारोह में गए थे। इस दौरान उनके पाक आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा से गले मिलने पर विवाद हुआ। सिद्धू ने अपने बचाव में कहा था कि जब बाजवा ने उनसे करतारपुर का रास्ता खोलने की बात कही, तभी उनसे गले मिला। इसके बाद सिद्धू और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को इस मामले में पत्र लिखकर करतारपुर का रास्ता खोलने की मांग की थी।
करतारपुर साहिब को लेकर लिए गए सरकार के फैसले
गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर पाकिस्तान के जिला नारोवाल में है, जो लाहौर से करीब 120 किलोमीटर दूर है। वहीं भारत की सीमा से यह करीब 3 किलोमीटर दूर है। लेकिन पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव ने इसे तीर्थयात्रियों के लिए बहुत दूर बना दिया था। ऐसे में सिख संगत की अटूट आस्था के चलते भारत सरकार ने भारतीय सीमा के पास एक बड़ा टेलिस्कोप लगाया, जिसके ज़रिए तीर्थयात्री करतारपुर गुरुद्वारे के दर्शन करते थे।
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब श्रद्धालु पाकिस्तान जाकर दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए डेरा बाबा नानक से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक गुरुद्वारा दरबार सिंह करतारपुर साहिब के लिए कॉरिडोर बनाया जाएगा, यह 3 किलोमीटर का होगा। इसका पूरा खर्चा केंद्र सरकार उठाएगी। पाकिस्तान में गुरुद्वारा तक जाने के लिए भारतीय तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के एंट्री दी जाएगी। सुल्तानपुर लोधी को हेरीटेज सिटी बनाया जाएगा, जिसका नाम ‘पिंड बाबे नानक दा’ रखा जाएगा।
गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी में ‘सेंटर फॉर इंटरफेथ स्टडीज़’ का निर्माण किया जाएगा। ब्रिटेन और कनाडा की दो यूनिवर्सिटियों में इस सेंटर के नाम के साथ नई पीठ स्थापित की जाएगी। गुरुनानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर खास डाक टिकट और सिक्के जारी किए जाएंगे।