लखनऊ (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) व और राज्य सरकार की समन्वय बैठक में बातें तो बहुत हुईं लेकिन, बिना नाम लिये निष्कर्ष यही दिया गया कि राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के लिए 2019 में नरेंद्र मोदी की वापसी जरूरी है। हालांकि, करीब छह घंटे की इस मैराथन बैठक में जोर देकर कहा गया कि संघ राष्ट्र की बात करता है, व्यक्ति की नहीं।
बैठक में क्षोभ और असंतोष के गुबार भी फूटे लेकिन, तय यही हुआ कि आने वाले लोकसभा चुनाव में राष्ट्र चिंतन की सरकार बने और मतदान राष्ट्रीय मुद्दों पर हो। सौ फीसद मतदान के साथ नोटा पर बटन दबाने वालों को जागरूक करने की भी मुनादी की गई। राम मंदिर की भी आवाज उठी।
आनंदी वाटर पार्क में आयोजित समन्वय बैठक उद्घाटन से लेकर समापन तक कुल चार सत्रों में संपन्न हुई। बैठक में संघ के 37 अनुषंगिक संगठनों के अलावा छह प्रांतों की टोली, भाजपा पदाधिकारी और सरकार के प्रतिनिधि शामिल हुए। मंच पर संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और कृष्णगोपाल के अलावा पूर्वी क्षेत्र के संघचालक वीरेंद्र पराक्रमादित्य तथा पश्चिम क्षेत्र के संघचालक सूर्य प्रकाश टोंक बैठे थे। बैठक सुबह 9:30 बजे से शुरू होनी थी लेकिन, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के देर से आने के कारण यह साढ़े 11 बजे शुरू हो सकी और शाम साढ़े पांच बजे तक चली। इस बैठक में अलगाववादी तत्वों और उन्हें संरक्षण देने वालों पर भी निशाना साधा गया।
कृष्ण गोपाल बोले, नहीं चलेगा ‘कोउ नृप होय हमें का हानी’
उद्घाटन सत्र में बैठक की प्रस्तावना सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल ने रखी। उन्होंने संघ की मंशा जाहिर कर दी। हिंदुत्व के मुद्दे पर उन्होंने सबको जागृत किया। कहा, ‘कोउ नृप होय हमें का हानी, जैसी बात हम नहीं कह सकते हैं।’ ‘हिंदू समाज और राष्ट्र के अनुकूल हमारे कदम आगे बढ़ रहे हैं। यहां आये सभी संगठन स्वतंत्र हैं और सब अपना-अपना निर्णय लेते हैं पर यह धागा विचार का है। हमारा कार्य हिंदू समाज के जागरण का है और अब तो देश की हर राजनीतिक पार्टी हिंदुत्व की चर्चा करने लगी है।’
यूपीए ने हिंदू समाज को दबाया : अमित शाह
भोजनावकाश के बाद शुरू हुए तीसरे सत्र में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत जनसंघ की यात्रा से की। 1925 से शुरू हुई इस वैचारिक यात्रा में श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों से शुरू होकर आज की भाजपा की उपलब्धियां गिनाने में शाह भावुक हो गए। उन्होंने आपातकाल की याद दिलाते हुए 2004 से 2014 तक यूपीए सरकार का जिक्र किया। कहा कि यूपीए सरकार ने हिंदू समाज को दबाया। उन्होंने 2014 के बाद भाजपा को मिले जनता के बेपनाह प्यार और मणिपुर व त्रिपुरा तक 19 राज्यों में अपनी सरकार बनाने का जिक्र किया।
अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियां गिनाई। कहा, आप खुद सोचें कि यह देश किधर जा रहा था और मोदी इसे किस ओर ले जा रहे हैं। शाह के उद्बोधन का भी निष्कर्ष यही था कि 2019 में मोदी की सरकार बननी जरूरी है। राममंदिर पर उठे सवाल पर अमित शाह ने कहा कि यह हमारी प्रतिबद्धता है लेकिन, हम संवैधानिक मर्यादा से बंधे हैं। 29 अक्टूबर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई होने जा रही है। हमें उम्मीद है कि निर्णय शीघ्र आएगा। एससी एसटी एक्ट पर जब बात उठी तो भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सबका साथ सबका विकास के लिए इसे संशोधन के साथ लागू किया गया।
सपा-बसपा ने खूब फैलाई अराजकता : योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा और बसपा के 15 वर्षों के शासन की याद दिलाई। कहा, उप्र अराजकता की भेंट चढ़ गया था। लोग घरों से निकलने में डरते थे और गरीबों की जमीनों पर गुंडों के कब्जे थे। अब गुंडे या तो जेल में हैं, या पुलिस मुठभेड़ में मारे गए या फिर उत्तर प्रदेश छोड़ गए हैं।
परिणाम पहले से भी बेहतर होगा : रामलाल
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री, संगठन रामलाल ने कहा कि बूथों तक हमारा संगठन है। दुनिया में भाजपा से बड़ा नेटवर्क किसी दल का नहीं है। हम सब लोग मिलकर काम करेंगे तो नतीजा पहले से भी बेहतर होगा।
महामंथन के मुद्दे
- लापरवाह-बेलगाम नौकरशाही
- लोकसभा चुनाव की तैयारी
- मंत्रियों का काम की समीक्षा
- गंगा सफाई में उदासीनता
- हिंदुत्व की आवश्यकता
- मोदी सरकार की उपलब्धियां
- पुलिस का मनमाना रवैया
- चेकिंग के नाम पर वसूली
- सामयिक मुद्दों
युद्ध के समय अतिरिक्त सतर्कता जरूरी : होसबोले
समापन सत्र में आरएसएस के सर सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने आरएसएस, भाजपा और सरकार के आये सुझावों को समेटते हुए अपना निष्कर्ष दिया। उन्होंने कहा कि हम सभी जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले राष्ट्र योद्धा हैं। उन्होंने आने वाले लोकसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि सेना तो हर समय तैयार रहती है लेकिन, युद्ध के समय रसद ज्यादा एकत्र करने के साथ ही अपने शस्त्रों को सुसज्जित करना पड़ता है। होसबोले ने कहा कि इस समय अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत है। देश में राष्ट्रवादी चिंतन की सरकार बने और हमारी सीमाओं की सुरक्षा हो, यही हमारा संकल्प होना चाहिए।
संघ और शाह के सामने खरी-खरी
उत्तर प्रदेश में नौकरशाही पर लगाम नहीं है। गंगा बड़ा मुद्दा थी लेकिन, वह जैसी दिखनी चाहिए नहीं दिख रही है। थानों पर लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। अफसरों की कार्यशैली ठीक नहीं है। चौराहों पर चेकिंग के नाम पर वसूली हो रही है। कार्यकर्ताओं की बात नहीं सुनी जा रही है। समन्वय बैठक के सुझाव सत्र में संघ के प्रमुख नेताओं और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के सामने सरकारी कामकाज की असलियत कुछ यूं उजागर हुई। यह दूसरा सत्र था। संघ के अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियोंऔर अन्य कार्यकर्ताओं ने खरी-खरी सुना दी। इस सत्र में सबको अपने मन की कहने की छूट थी। इस सत्र में सरकारी कामकाज की पोल खुली तो सांसदों और विधायकों के प्रति नाराजगी भी दिखी। कई प्रमुख लोगों ने दो टूक कहा कि राम मंदिर का निर्माण जरूरी है। केंद्र सरकार को कानून बनाकर हिंदू भावनाओं का आदर करना चाहिए। राम मंदिर के लिए भी दबाव बनाते लोग दिखे। कृष्णगोपाल ने अपने उद्बोधन में राम मंदिर पर लोगों की भावनाओं को आत्मसात करते हुए कहा कि राम मंदिर सबका संकल्प है। हम सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा
बैठक का समापन आरएसएस की प्रार्थना से हुआ। इसके बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, आरएसएस के दोनों सर सहकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले और कृष्णगोपाल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा तथा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय, राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महामंत्री संगठन रामलाल समेत कई प्रमुख लोगों की खास बैठक हुई। इस बैठक में योगी सरकार के मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा हुई। सूत्रों का कहना है कि समन्वय बैठक में मंत्रिमंडल के फेरबदल पर भी चर्चा हुई। हालांकि यह फेरबदल कब होगा, इस पर कोई बात तय नहीं हुई।