नई दिल्ली (बिजनेस)। महंगे कच्चे तेल और पेट्रोलियम क्षेत्र के मौजूदा हालात पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को बैठक करेंगे। तेल एवं गैस क्षेत्र की वैश्विक व भारतीय कंपनियों के प्रमुखों संग बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों व कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने से खुदरा कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव समेत विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक तीसरी वार्षिक बैठक में तेल एवं गैस खोज व उत्पादन के क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने पर भी चर्चा होगी। मोदी ने इस तरह की पहली बैठक पांच जनवरी 2016 को की थी, जिसमें प्राकृतिक गैस कीमतों में सुधार के सुझाव दिए गए थे। दूसरी वार्षिक बैठक अक्टूबर 2017 में हुई, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के उत्पादक तेल एवं गैस क्षेत्रों में विदेशी और निजी कंपनियों को हिस्सेदारी देने का सुझाव दिया गया था। हालांकि ओएनजीसी के तीखे विरोध के बाद इस योजना को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
सूत्रों ने बताया कि सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री खालिद ए अल फलीह, ब्रिटिश पेट्रोलियम फर्म बीपी के सीईओ बॉब डुडले, फ्रांसीसी फर्म टोटल के प्रमुख पैटिक फॉयेन, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और वेदांता प्रमुख अनिल अग्रवाल बैठक में उपस्थित रह सकते हैं। बैठक का संयोजन नीति आयोग द्वारा किया जा रहा है। माना जा रहा है कि बैठक में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की चुनौतियों पर विचार विमर्श होगा। ईरान पर चार नवंबर से अमेरिकी प्रतिबंध प्रभावी होंगे। इसके बाद ईरान से सौदा करने वाली कंपनियों के खिलाफ अमेरिका ने कदम उठाने की चेतावनी दी है।
ओपेक के महासचिव भी बैठक में होंगे शामिल
बैठक में पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के महासचिव मुहम्मद बारकिंदो और भारत के पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान भी शामिल होंगे। इनके अलावा ओएनजीसी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक शशि शंकर, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह, गेल इंडिया के प्रमुख बीसी त्रिपाठी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के चेयरमैन मुकेश कुमार शरण व ऑयल इंडिया के चेयरमैन उत्पल बोरा बैठक में हिस्सा लेंगे।
कारोबार आसान बनाने और निवेश आकर्षित करने पर चर्चा
बैठक में भारत में कारोबार आसान बनाने और निवेश आकर्षित करने के लिए कदमों पर भी चर्चा होगी। पिछले चार साल में तेल एवं गैस क्षेत्र में उठाए गए सुधार के कदमों को सबके सामने रखा जाएगा और विकास की गति बढ़ाने की दिशा में सुझाव लिए जाएंगे। सरकार घरेलू तेल एवं गैस उत्पादन क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है। पिछले कुछ वर्षो से इस क्षेत्र में निजी हिस्सेदारी लगभग स्थिर है, जबकि ईंधन की मांग सालाना पांच से छह फीसद की दर से बढ़ रही है। तेल की मांग में से 83 फीसद के लिए भारत आयात पर निर्भर है। 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 तक आयात पर निर्भरता को 10 फीसद घटाकर 67 फीसद करने का लक्ष्य रखा था।