बठिंडा। मलेशिया सैकड़ों पंजाबी एजेंटों के जाल में फंस चुके हैं। उनको वहां से डिपोर्ट किया जा रहा है तो कई लुक-छिपकर रहने को मजबूर हैं। इसके अलावा जो वर्क वीजा पर गए हैं, उनको 1000-1200 रिंगट (मलेशियाई मुद्रस) ही मिल रहे हैं। कई युवाओं को मलेशिया से डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया है।
यह खुलासा मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय यूथ कांफ्रेंस में भाग लेकर लौटे समाज सेवी भूपिंद्र सिंह मान ने किया। उन्होंने बताया कि मलेशिया की संस्था सिंह ईजी राइडर्ज क्लब वहां पर फंसने वाले लोगों के लिए काफी काम कर रही है। सिंह ईजी राइडर्ज क्लब के पदाधिकारी व मलेशिया में तीन पीढिय़ों से रहने वाले सलविंदर सिंह शिंदा ने भी फोन पर बताया कि युवक एजेंटों के जाल में फंसकर लाखों रुपये उनको दे देते हैं और फिर यहां पर फंस जाते हैं। वे न इधर के रहते हैं और न ही उधर के।
उन्होंने कहा कि भारत व मलेशिया के एजेंट आपस में मिले हुए हैं। वे वहां से पैसे ले लेते हैं और कोई रसीद नहीं देते हैं। मलेशिया पहुंचते ही इधर के एजेंटों द्वारा युवकों से पासपोर्ट ले लिया जाता है, लेकिन पासपोर्ट लेने की कोई रसीद नहीं दी जाती। इसके बाद उनको 1000-1200 रिंगट देकर जंगलों व अन्य जगहों पर काम करने के लिए भेज दिया जाता है। कुछ को तो टूरिस्ट वीजा पर ही यहां भेज दिया जाता है जबकि वर्क परमिट पर आने वालों को मामूली वेतन दिया जाता है।
गुरुद्वारों में शरण लेने को मजबूर
पंजाब के युवक मलेशिया के गुरुद्धारों में शरण लेने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि ठगी का शिकार अकेले पंजाबी ही नहीं हो रहे बल्कि मलेशिया में उनको बांग्लादेशी व पाकिस्तानी युवक भी मिले हैं।
डिपोर्ट कर रही मलेशिया सरकार
मौड़ मंडी के समाजसेवी भूपिंद्र सिंह मान ने बताया कि वह मलेशिया से भारत लौटे हैं। उनकी फ्लाइट में ही 19 युवक डिपोर्ट किए हुए थे। उन्होंने युवकों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उनके पासपोर्ट मलेशिया के एजेंटों ने अपने पास रख लिए और पुलिस ने उनको पकड़कर डिपोर्ट कर दिया। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचते ही पुलिस ने उनको पकड़ कर पूछताछ शुरू कर दी।