बिहार में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इस मुद्दे पर ऐसा पासा फेंका है जिसने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को गदगद कर दिया है तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए टेंशन बढ़ा दी है। जातिगत जनगणना पर जेडीयू और बीजेपी के बढ़ी दूरी का फायदा उठाने के लिए आरजेडी ने यहां तक कह दिया है कि वह सबकुछ भूलकर एक बार फिर नीतीश के साथ सरकार बनाने को तैयार है।
आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके पार्टी के रुख का ऐलान किया। उन्होंने इसे तेजस्वी का संदेश बताया और कहा कि नीतीश को बीजेपी के उन मंत्रियों को हटा देना चाहिए जो इस मुद्दे पर उनकी बात नहीं मान रहे हैं। जगदानंद ने कहा कि यदि इससे उनकी सरकार के सामने संकट आता है तो ‘सबकुछ भूलकर’ तेजस्वी के नेतृत्व में आरजेडी और महागठबंधन साथ देने को तैयार है। इसके बाद पार्टी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने पार्टी के संदेश को और साफ करते हुए कहा कि घरमास के बाद बिहार में बड़ा सियासी भूचाल आएगा।
असल में आरजेडी के ऑफर से जेडीयू को बीजेपी पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है। पार्टी को उम्मीद है कि जातिगत जनगणना और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जैसी मांगों पर वह अब बीजेपी को दबाव में ला सकती है।
पार्टी के प्रवक्ता प्रेमचंद्र पटेल ने कहा कि आरजेडी को अहसास हो गया है, आरजेडी ने पिछले चुनाव में पूरी ताकत लगाई, वह कभी सफल नहीं हो सकती है, उनके ऊपर बिहार की जनता का विश्वास पैदा नहीं हो रहा है तो तांक-झांक कर रही है। नीतीश कुमार कच्चे नहीं है, वह बहुत सोच समझकर फैसला लेते हैं। कांच की हांडी दुबारा नहीं चढ़ती है।