लोकसभा में आज वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी) केंद्र सरकार के खिलाफ अपना अविश्वास प्रस्ताव ला सकती हैं। वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बारेड्डी ने लोकसभा सचिवालय को अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस को आज (सोमवार) की कार्यवाहियों में सूचीबद्ध करने के लिए लिखा है। वहीं टीडीपी ने भी अविश्वास प्रस्ताव के लिए नोटिस दे रखा है।
पिछले सप्ताह नोटिस नहीं लिए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने दलील दी थी कि सदन में आसन के पास जाकर कई दलों के सदस्यों की नारेबाजी के कारण ऐसा नहीं हो पाया। विधायी कार्यों पर सरकार के साथ अक्सर सहयोग करने वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति और अन्नाद्रमुक कई मुद्दों पर विरोध कर रही है इसलिए इस पर अनिश्चितता है कि सोमवार को सदन व्यवस्थित रहेगा या नहीं, इसमें अब भी संदेह है। बजट सत्र के अंतिम चरण का पहला दो हफ्ता बीत चुका है। हालांकि सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लाने और बिना चर्चा के ध्वनिमत के जरिए बजट पारित कराने में कामयाब रही।
वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) दोनों के सांसद बजट सत्र के अंतिम दिन संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे सकते हैं। आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज या विशेष राज्य का दर्जा के सवाल पर आमने सामने आए दोनों प्रतिद्वंद्वी दलों ने बीते शुक्रवार को एक ही दिन लोकसभा में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था। इस मुद्दे पर वाईएसआर कांग्रेस के सांसदों द्वारा इस्तीफे की भनक लगने के बाद टीडीपी ने भी इसी राह चलने का फैसला कर लिया है। आपको बता दें कि दोनों दल आज एक बार फिर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने वाले हैं।
गौरतलब है कि विशेष पैकेज के सवाल पर आम बजट पेश होने के दिन से संसद में वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी के बीच इस मुद्दे का श्रेय लेने की होड़ मची है। इसी बीच टीडीपी को जैसे ही इस मुद्दे पर वाईएसआर कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने की खबर लगी, पार्टी ने सरकार के बाद राजग से भी अलग होने की घोषणा कर दी। आनन फानन टीडीपी ने भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था।
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टीडीपी के वरिष्ठ नेता थोथा नरसिंहम ने कहा कि विशेष राज्य का दर्जा टीडीपी का मुद्दा है। शुरू में इस मुद्दे से दूर रही वाईएसआर कांग्रेस अब इस मुद्दे को हड़पना चाहती है। जबकि सबको पता है कि विशेष राज्य का दर्जा केलिए हमारे मंत्रियों ने सरकार से त्यागपत्र दिया। पार्टी ने राजग से नाता तोड़ा। हम इस मुद्दे पर त्याग की किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
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50 सदस्यों का समर्थन जरूरी
केंद्र की ओर से आंध्रप्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने से इनकार के बाद सबसे पहले वाईएसआर कांग्रेस ने पिछले सप्ताह अविश्वास प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था। मुद्दे पर भाजपा की लंबे समय से सहयोगी रही टीडीपी ने इसके बाद सरकार से अपना नाता तोड़ने का फैसला किया और खुद ही अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया। दोनों पार्टियां अपने-अपने नोटिसों पर समर्थन जुटाने के लिए विपक्षी दलों को लामबंद कर रही हैं। अविश्वास प्रस्ताव नोटिस के लिए सदन में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा
केंद्र सरकार ने भरोसा जताया है कि नोटिस स्वीकार कर लिए जाने पर भी लोकसभा में उसकी संख्या बल के कारण प्रस्ताव औंधे मुंह गिर जाएगा। लोकसभा में मौजूदा सदस्यों की संख्या 539 है और सत्तारूढ़ भाजपा के 274 सदस्य हैं। यह बहुमत (270) से अधिक है और पार्टी को कई घटक दलों का समर्थन भी है।