लोकसभा में तीन तलाक पर चर्चा आज, बीजेपी ने जारी किया है व्हिप

तीन तलाक  विरोधी विधेयक पर लोकसभा  में चर्चा से पहले अपना रुख तय करने के लिए आज कांग्रेस अपने सांसदों की बैठक करेगी। संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने बुधवार को बताया कि विधेयक गुरुवार को लोकसभा में चर्चा के लिए लाया जाएगा। सत्तारूढ़ भाजपा ने इस विधेयक को पारित कराने के लिए अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है।

कांग्रेस पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि वह ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ पर होने वाली चर्चा में भाग लेगी। लोकसभा में गत गुरुवार को जब ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2018’ चर्चा के लिए लाया गया तो सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने सुझाव दिया कि इस पर अगले हफ्ते चर्चा कराई जाए। इस पर संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष से आश्वासन मांगा कि उस दिन बिना किसी बाधा के चर्चा होने दी जाएगी। इस पर खडगे ने कहा था, ‘मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस विधेयक पर 27 दिसंबर को चर्चा कराइए। हम सभी इसमें हिस्सा लेंगे। हमारी पार्टी और अन्य पार्टियां भी चर्चा के लिए तैयार हैं।’

खडगे के इस बयान पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘खडगे जी ने सार्वजनिक वादा किया है और हमें 27 दिसंबर को चर्चा कराने में कोई समस्या नहीं है। मैं अनुरोध करता हूं कि चर्चा खुशनुमा और शांतिपूर्ण माहौल में हो।’ इस विषय पर कांग्रेस का रुख पूछे जाने पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अभी यह तय है कि हम इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेंगे। पार्टी का रुख गुरुवार को सुबह होने वाली बैठक में तय होगा।’

नए में जमानत का प्रावधान

नए विधेयक में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है, लेकिन संशोधन के हिसाब से अब मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित विधेयक में किए गए बदलाव के अनुसार, पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और विवाह से बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं। मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा। एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे की भी हकदार होगी।

430 मामले तीन तलाक के 01 जनवरी 2017 के बाद आए
229 मामले इनमें से उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले आए
201 मामले इनमें से उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद के हैं
120 मामले उत्तर प्रदेश से, जो किसी एक राज्य से सर्वाधिक हैं

देरी देख अध्यादेश ले आई सरकार

सरकार ने विधेयक पारित कराने में हो रही देरी को देखते हुए इस साल सितंबर में विपक्ष के कुछ संशोधनों को स्वीकार कर एक अध्यादेश ले आई थी, जो अभी अस्तित्व में है। पुराने विधेयक अब भी राज्यसभा में लंबित है, जबकि सरकार ने अध्यादेश के प्रारूप पर ही नया विधेयक लोकसभा में इसी सत्र में पेश किया है।

तीन तलाक पर पहले भी आ चुका है विधेयक

तीन तलाक को गैर-कानूनी बनाने के लिए सरकार पहले भी एक विधेयक ला चुकी है जो लोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में अटक गया। क्योंकि वहां सत्ता पक्ष के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है और विपक्ष विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर आपत्ति कर रहा था।