रुहेलखंड- में एक अदद सांसद विधायक को तरस रही कांग्रेस को इस चुनाव में पतवार का इंतजार है। बरेली, बदायूं और पीलीभीत में 1989 के चुनाव के बाद हाशिए पर गई कांग्रेस की 2009 के चुनाव में सांसद प्रवीन सिंह ऐरन ने वापसी कराई थी। शाहजहांपुर को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। सुरक्षित होने के बाद यह सीट भी कांग्रेस के साथ से जाती रही। अच्छे प्रभाव और बोलबाले वाली सीट लखीमपुर व धौरहरा भी पिछले चुनाव में कांग्रेस के हाथ से जाती रहीं। इस चुनाव में कांग्रेस हर सीट पर जीत की संजीवनी तलाश रही है। मुख्य संवाददाता की रिपोर्ट…
2014 के चुनाव में चौथे नंबर की पार्टी बन गई कांग्रेस
2014 के चुनाव में कांग्रेस रुहेलखेंड में चौथे नंबर की पार्टी बन गई। कांग्रेस के प्रत्याशी सभी सीटों पर चौथे नंबर पर रहे। कांग्रेस भाजपा के साथ-साथ सपा और बसपा से भी पीछे रही। बरेली लोकसभा में कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीन सिंह ऐरन, आंवला में सलीम इकबाल शेरवानी, पीलीभीत में संजय कपूर, शाहजहांपुर में चेतराम, खीरी में जफर अली नकवी और घौरहरा में जितिन प्रसाद को चौथी रैंक मिली जबकि बदायूं में पार्टी ने प्रत्याशी ही नहीं लड़ाया। लोकसभा के साथ-साथ कांग्रेस का रुहेलखंड से विधानसभा में भी कोई प्रतिनिधि नहीं है।
- बरेली सीट : बरेली से 1951, 57 और 71 में कांग्रेस के सतीश चंद्रा, 1981 के उपचुनाव और 1984 में बेगम आबिदा अहमद जीतीं। इसके बाद कांग्रेस हाशिए पर चली गई। 1989 से चले आ रहे सन्नाटे को 2009 में प्रवीन सिंह ऐरन ने तोड़ा। उन्होंने भाजपा के संतोष गंगवार को हराया। 2014 के चुनाव में प्रवीन ऐरन भाजपा के संतोष गंगवार से चुनाव हार गए। इस बार फिर दोनों दिग्गज आमने-सामने हैं।
- आंवला सीट : 1962 के चुनाव में वजूद में आई आंवला लोकसभा में पहला चुनाव जनसंघ के प्रत्याशी ब्रजराज सिंह उर्फ आछू बाबू ने जीता था। 1971 और 77 का चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी सावित्री श्याम ने जीता। 1984 में कल्याण सिंह सोलंकी कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा में पहुंचे। इसके बाद यहां से कांग्रेस की विदाई हो गई। इस बार कांग्रेस के टिकट पर सर्वराज सिंह यहां से चुनाव मैदान में हैं।
- बदायूं सीट : बदायूं से वर्ष 1951 और वर्ष 1957 में रघुवीर शाही, वर्ष 1971 में करन सिंह यादव, वर्ष 1980 में मोहम्मद असरार अहमद, वर्ष 1984 में सलीम इकबाल शेरवानी कांग्रेस के टिकट पर जीते। बाकी जिलों की तरह यहां से भी 1984 में कांग्रेस की विदाई हो गई। इस बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर सलीम इकबाल शेरवानी फिर मैदान में हैं।
- पीलीभीत : पीलीभीत लोकसभा से वर्ष 1951 में कांगेस के टिकट पर मुकुंद लाल अग्रवाल, वर्ष 1971 में मोहनस्वरूप, वर्ष 1980 में हरीश कुमार गंगवार और वर्ष 1984 में भानु प्रताप सिंह जीते। इसके बाद कांग्रेस यहां से भी रुखसत हो गई। इस बार यहां से कांग्रेस ने कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा है।
- शाहजहांपुर : 1951 में कांग्रेस के गणेशी लाल और निवेटिया, 1962, 67 में प्रेम किशन खन्ना, 1971, 80 और 84, 99 में जितेन्द्र प्रसाद, 1996 में राममूर्ति सिंह और 2004 में जितिन प्रसाद कांग्रेस के टिकट पर जीते। सीट आरक्षित होने बाद वह धौररहा चले गए और यहां कांग्रेस की हार का सिलसिला शुरू हो गया। इस बार कांग्रेस के टिकट पर ब्रह्मस्वरूप सागर चुनाव मैदान में हैं।
- खीरी : खीरी से 1951 में रामेश्वर दयाल नेवटिया, 1962, 67, 71 और 80 में बालगोविंद वर्मा , 1984 और 89 में ऊषा वर्मा, 2004 में जफर अली नकवी और 2009 में जितिन प्रसाद जीते। खीरी में भाजपा प्रत्याशी अजय मिश्रा ने कांग्रेस प्रत्याशी जफर अली नकवी को हराया। जफर चौथे नंबर पर रहे।
- धौरहरा : धौरहरा लोकसभा सीट में खीरी और सीतापुर का क्षेत्र आता है। यह सीट 2009 में परिसीमन के बाद वजूद में आई। यहां से जितिन प्रसा कांग्रेस के टिकट पर पहला चुनाव जीते। मगर 2014 के चुनाव में यह भाजपा प्रत्याशी रेखा वर्मा से हार गए।