राज्यपाल राम नाईक (Ram Naik) ने इलाहाबाद संग्रहालय (Allahabad Museum) का नाम ‘प्रयागराज संग्रहालय’ (Prayagraj Museum) करने के प्रस्ताव पर सहमति दे दी है। सोमवार को राजभवन में हुई इलाहाबाद संग्रहालय समिति एवं कार्यकारिणी समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने संग्रहालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने 40 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी भी दी।
राम नाईक ने बैठक में कहा कि केन्द्र एवं राज्य सरकार के सहयोग से प्रयागराज में बड़ा परिवर्तन हो रहा है। इस कारण 15 जनवरी 2019 से पहले कुम्भ मेले के आयोजन से संबंधित संग्रहालय की तैयारियों को पूरा कर लिया जाए। कुम्भ मेले के दौरान संग्रहालय खुलने का समय बढ़ाकर सुबह 10 बजे से शाम 8 बजे तक कर दिया जाए। कुम्भ मेले के समय संग्रहालय को सातों दिन खोला जाए। राज्यपाल ने कहा कि संग्रहालय में प्रवेश के लिए ‘कुम्भ मेला स्पेशल’ टिकट जारी किया जाए, जो कुम्भ मेले के दौरान कभी भी मान्य रहे। उन्होंने कहा कि शोध छात्रों, विश्वविद्यालय के छात्रों, वालंटियर्स तथा विभाग के रिटायर लोगों की सेवाएं गाइड के रूप में ली जाएं।
बैठक में संग्रहालय में आजाद गैलरी (विथिका) के निर्माण की सैद्धान्तिक मंजूरी दी गई। इस गैलरी में भारत के 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर 1947 में स्वतंत्रता मिलने तक के क्रांतिकारियों से संबंधित दुर्लभ छायाचित्रों, कलाकृतियों, अभिलेखों, पत्रों एवं दस्तावेजों आदि को विशेष रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। कुम्भ के दौरान इसका डिजिटल रूप प्रदर्शित किया जाएगा। कुम्भ मेले के अवसर पर संग्रहालय द्वारा गैलरी का आधुनिकीकरण, इलाहाबाद से संबंधित पुस्तक का विमोचन, कुम्भ मेले में प्राचीन कलाकृतियों की प्रतिकृति का प्रदर्शन व विक्रय किया जाएगा। कुम्भ मेले के दौरान इलाहाबाद संग्रहालय के प्रदर्शनी हाल में कुम्भ मेले के इतिहास से संबंधित एक प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी जिसमें अन्य कलाकृतियों के साथ राष्ट्रीय अभिलेखागार से उपलब्ध कुम्भ मेले के 100 वर्ष पुराने संगम स्थल के नक्शे की प्रतियां प्रदर्शित की जाएंगी।
बैठक में अपर मुख्य सचिव राज्यपाल हेमंत राव, केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय अपर सचिव धर्मेन्द्र सिंह गंगवार, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधानशाला के महानिदेशक डॉ. बीवी खरबड़े, प्रो. डीएन त्रिपाठी, लखनऊ संग्रहालय के निदेशक डॉ. एके सिंह, इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉ. सुनील गुप्ता, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. योगेश्वर तिवारी तथा राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय की निदेशक डॉ. नाज रिजवी सहित अन्य लोग भी मौजूद रहे।