बिहार: अब गंभीर सड़क दुर्घटनाओं की होगी वैज्ञानिक जांच, हादसे की वजह का लगाएंगे पता, कई विभागों के अधिकारी होंगे शामिल

बिहार में होने वाली गंभीर सड़क दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक जांच होगी। दुर्घटनाओं की वैज्ञानिक जांच कई विभागों के अधिकारी मिलकर करेंगे। खासकर जिन दुर्घटनाओं में जान-माल का नुकसान अधिक होगा, वहां अनुसंधान कर देखा जाएगा कि आखिर किन कारणों से वह दुर्घटना हुई। परिवहन विभाग ने इस बाबत सभी जिलों को निर्देश भेजा है।

राज्य में हो रही सड़क दुर्घटनाओं को देखते हुए परिवहन विभाग ने तय किया है कि इसे हर हाल में कम किया जाए। बिहार देश के चंद राज्यों में शामिल हो गया है, जहां सड़क दुर्घटना के बाद उसकी जांच संयुक्त तौर पर की जाएगी। जांच समिति को सड़क दुर्घटना जांच दल नाम दिया गया है।

जिलास्तरीय परिवहन, पुलिस, पथ निर्माण व ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों को संयुक्त जांच दल का सदस्य बनाया गया है। सड़क दुर्घटना की संयुक्त जांच के लिए मोटरवाहन अधिनियम 1988 की धारा 135 के तहत विशेष प्रावधान किया गया है।

परिवहन विभाग ने कहा है कि तय प्रावधान के अनुसार दुर्घटना की सूचना मिलने पर सबसे पहले स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारी जांच करेंगे। पुलिस के स्तर पर आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद जिलास्तर पर गठित जांच दल के अधिकारी घटनास्थल का जायजा लेंगे।

जिलास्तरीय टीम जब जांच करेगी तो दुर्घटना की प्रारंभिक जांच करने वाले स्थानीय पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे। जांच के दौरान दल के सदस्य प्रत्यक्षदर्शी से भी बातचीत करेंगे। जांच में तकनीक का भी सहारा लिया जाएगा, ताकि पता चल सके कि किन कारणों से सड़क दुर्घटना हुई।

रिपोर्ट के आधार पर होगी कार्रवाई

जांच दल के सदस्य यह देखेंगे कि दुर्घटना किन कारणों से हुई है। अगर ओवरस्पीड के कारण दुर्घटना होगी तो उस स्थान पर ऐसे उपाय किये जायेंगे कि गाड़ियां अधिक रफ्तार से नहीं गुजर सकें। अगर सड़क में गड्ढे सहित अन्य खराबी के कारण दुर्घटना होगी तो पथ निर्माण और ग्रामीण सड़कों के होने पर ग्रामीण कार्य विभाग उसकी संरचना में आवश्यक सुधार करेगा।

वहीं, सड़क घुमावदार होगी या तीखा मोड़ होगा और चालकों को उसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है तो विभाग की ओर से संकेतक (साइनेज) लगाए जाएंगे। जांच के लिए होने वाले खर्च का भुगतान जिलास्तर पर गठित सड़क सुरक्षा परिषद के माध्यम से होगा।