
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति-आधारित जनगणना के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। नीतीश ने कहा, ‘जाति आधारित जनगणना करने के लिए बिहार के प्रतिनिधि मंडल के साथ आदरणीय प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा था। आदरणीय प्रधानमंत्री का बहुत बहुत धन्यवाद कि 23 अगस्त को मिलने का उन्होंने समय दिया।’
इसके ठीक पहले विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए रवाना होने से पहले मीडियाकर्मियों से बात करते हुए इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पीएम मोदी ने सीएम नीतीश और विपक्ष के एक प्रतिनिधि को 23 अगस्त को 11 बजे उनसे मिलने का समय दिया है।
तेजस्वी ने कहा, ‘विपक्ष ने बिहार विधानसभा में जाति आधारित जनगणना का मुद्दा लगातार उठाया है और पिछले दिनों सदन द्वारा दो प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित भी किया गया था।’ बता दें कि सीएम करे बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी पीएम मोदी को जातीय जनगणना को लेकर पत्र लिखा था।
कुमार ने अन्य पिछड़ी जातियों (ओबीसी) पर राज्यों के अधिकार पर भ्रम को दूर करने के लिए सोमवार को पीएम की प्रशंसा की थी और कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि वह जाति आधारित जनगणना से संबंधित मामले पर चर्चा करेंगे। 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना की गई थी। हालांकि कई विसंगतियों के कारण जाति के आंकड़ों को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया।
अब तक, जनगणना केवल धर्म और एससी/एसटी आबादी के आधार पर जनसंख्या की गणना करती है। देश में पिछली बार जाति-आधारित जनगणना 1931 में हुई थी। विशिष्ट हिंदू जातियों के लिए 1931 की जनगणना और अन्य सभी के लिए 1961 की जनगणना के अनुमानों के अनुसार, राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 51.3% थी।
बता दें कि नीतीश कुमार ने चार अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और जाति आधारित जनगणना पर चर्चा के लिए मिलने का समय मांगा था। पीएम की तरफ से मिलने का समय नहीं देने को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सीएम पर निशाना साध रहे थे।