
चौधरी चरण सिंह विवि में प्राइवेट छात्र-छात्राओं को घर बैठे कूरियर एजेंसी द्वारा डिग्री भेजने के खेल में हाईकोर्ट में बुधवार को फिर सुनवाई होगी। अभिषेक सोम द्वारा दायर जनहित याचिका में विवि पहले ही शपथ पत्र दायर कर चुका है। याचिकाकर्ता के रि-ज्वाइंडर के बाद कोर्ट में प्रकरण की सुनवाई प्रस्तावित है।
विवि इस प्रकरण में दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर चुका है और दो अधिकारियों पर जांच चल रही है। विवि ने कंपनी का टेंडर निरस्त कर दिया है, लेकिन उसके खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। विवि कंपनी को 67 लाख रुपये का भुगतान भी कर चुका है जबकि एजेंसी द्वारा दिए गए 24 लाख रुपये के बिलों की जांच आज तक नहीं हुई। एजेंसी ने 24 लाख रुपये के बिल किसके दिए हैं, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
एक डिग्री, लाखों का भुगतान, मुकदमे भी खर्च
मेरठ विवि अधिकारियों द्वारा डाक विभाग को छोड़कर निजी एजेंसी को टेंडर देने की जल्दबाजी भारी पड़ रही है। विवि ने डिग्री पहुंचाने के लिए कंपनी को 67 लाख रुपये का पेमेंट कर दिया और 24 लाख रुपये के बिल लंबित हैं। वापस डिग्रियों को विवि अब डाक विभाग से भेजेगा। इसके लिए भी विवि को पेमेंट करना होगा। हाईकोर्ट में डिग्री प्रकरण में विवि ने सीनियर काउंसिल को खड़ा किया है। इसमें भी विवि के कोष से मोटी फीस जा रही है।
कर्मचारियों का दावा, खुद को बचाने के लिए किया सस्पेंड
मेरठ। डिग्री प्रकरण में केवल दो कर्मचारियों को सस्पेंड करने और अधिकारियों पर अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से कर्मचारी संगठन नाराज हैं। कर्मचारी संगठनों के अनुसार दो कर्मचारियों को केवल अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए सस्पेंड किया है। संगठनों के अनुसार कर्मचारियों ने ना तो टेंडर निकाला था और ना ही कंपनी को दिया। बिलों का भुगतान भी कर्मचारियों ने नहीं कराया लेकिन सारी गलती केवल कर्मचारियों पर डाल दी गई।