
अफगानिस्तान के काबुल में फंसे पूर्वांचल के चार युवकों के सोमवार को घर आ जाने से परिवार के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई। लौटकर आने वाले युवकों में चंदौली के अमोघपुर गांव का युवक सूरज चौहान, गाजीपुर के कासिमाबाद निवासी कन्हैया लाल शर्मा, जौनपुर के गोधना गांव निवासी मयंक सिंह, आजमगढ़ के नरावं गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान शामिल हैं। ये सभी वहां स्टील प्लांट में विभिन्न पदों पर काम करते थे।
काबुल में फंसा चंदौली के नियामताबाद ब्लॉक के अमोघपुर गांव का युवक सूरज चौहान सोमवार की सुबह घर पहुंचा। इससे गांव के लोगों में खुशी है। समाजसेवी संस्थाओं और नेताओं ने सूरज का स्वागत किया। गाजीपुर के मुबारकपुर कासिमाबाद निवासी कन्हैया सोमवार की शाम घर पहुंचा। काबुल में स्टील फैक्ट्री में फीटर के रूप में काम करने वाले कन्हैया लाल शर्मा ने बताया कि पूरे अफगानिस्तान का माहौल खराब है।
हिंदुस्तान में रहते अगर इसकी जानकारी होती तो वहां गया ही नहीं होता। उन्होंने बताया कि वहां तालिबानियों का डर इस कदर है कि फैक्ट्री से बाहर निकलने पर पाबंदी लगी हुई है। जौनपुर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के गोधना गांव निवासी मयंक सिंह सोमवार को घर आ गए। वे काबुल में खान स्टील कंपनी में महाप्रबंधक हैं।
परिजनों के साथ खड़े धर्मेंद्र – फोटो : अमर उजाला
उन्होंने बताया कि वह वहां सभी 27 भारतीय के साथ कंपनी में सुरक्षित थे। अंदर खाने से लेकर इलाज तक की सुविधा थी। लेकिन, बाहर के हालात को लेकर हम सब चिंतित थे। आजमगढ़ के मुबारकपुर थाना क्षेत्र के नरावं गांव निवासी धर्मेंद्र चौहान सोमवार को घर पहुंचे। उन्होंने बताया कि स्टील प्लांट से वह शुक्रवार 20 अगस्त को ढाई बजे दिन में घर के लिए निकले थे। बस से काबुल हवाई अड्डे पहुंचा तो भीड़ थी।
अगले दिन शनिवार को दिन के 11 बजे पासपोर्ट देखकर नाम-पता नोट करने के बाद बस में सवार सभी यात्रियों को होटल ले जाया गया। वहां भोजन में सब्जी, रोटी, चावल दिया गया। उसके बाद बाईपास गेट से आधी रात को काबुल एयरपोर्ट में प्रवेश कराया गया। भोर में चार बजे विमान ने उड़ान भरी। विमान रविवार को आठ बजे सुबह हिंडन एयरपोर्ट, गाजियाबाद पहुंचा। बस से उन्हें दिल्ली भेजा गया। वहां से धर्मेंद्र साथियों के साथ बस से गोरखपुर पहुंचा। गोरखपुर से जीयनपुर के रास्ते घर पहुंचे।