बेटे-बहू से पीड़ित वरिष्ठ नागरिक को राहत, घर से बाहर निकालने पर रोक

बेटे को उन्हें घर से निकालने से रोक दिया है। हालांकि कोर्ट ने जिलाधिकारी द्वारा सीनियर सिटिजन की सुरक्षा को लेकर दिए आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया । बेटे का कहना था कि वसीयत के आधार पर वह चाचा के मकान के आधे हिस्से का हकदार है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेटे-बहू से पीड़ित वरिष्ठ नागरिक को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मां-बाप को परेशान कर रहे

कोर्ट ने राजर्षि नगर गिलट बाजार, सिकरौल, शिवपुर वाराणसी स्थित भवन के निवासी वरिष्ठ नागरिक की जानमाल की सुरक्षा के लिए शिवपुर थाना प्रभारी को हफ्ते में एक दिन विजिट करने का निर्देश दिया है और कहा है कि उनके जीवन की स्वतंत्रता को खतरा न होने पाए। बेटे-बहू ऐसा कोई निर्माण न करने पाएं, जिससे उनकी हवा और रोशनी बाधित हो। विपक्षी बेटा बुनियादी जरूरतें पूरी करे। कोर्ट ने कहा कि सीनियर सिटिजन को जब भी मदद की जरूरत हो थाना प्रभारी से मांग सकते हैं।

कोर्ट ने शिव प्रकाश सिंह को नोटिस जारी किया है और राज्य सरकार सहित विपक्षी से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 20 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने श्रीमती वंदना सिंह की याचिका पर दिया है। जिलाधिकारी वाराणसी ने सीनियर सिटिजन एवं पैरेंट भरण-पोषण एवं कल्याण नियमावली के तहत  मां-बाप की अर्जी पर बेटे की बेदखली सहित कई निर्देश जारी किए, जिसे बहू ने चुनौती दी।

याची के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश पांडेय का कहना था कि जिलाधिकारी को ऐसा आदेश देने का अधिकार नहीं है। अधिकरण या सिविल कोर्ट को यह अधिकार है। चाचा की वसीयत के आधार पर याची के पति मकान के आधे हिस्सेदार हैं। घर में रहने का उसे अधिकार है। बेदखली पर रोक लगाई जाए।

सीनियर सिटिजन की तरफ से अधिवक्ता सरोज कुमार यादव का कहना था कि डीएम को सीनियर सिटिजन एक्ट व नियम 21 के तहत उनके जीवन संपत्ति की सुरक्षा करने का अधिकार है ताकि सीनियर सिटिजन सुरक्षा के साथ  गरिमामय जीवन जी सकें। विपक्षी बेटे ने मां-बाप को एक कमरे में बंद कर दिया है और बाहर से ताला लगा दिया है। कोर्ट ने कहा संपत्ति पर वसीयत से दावा करने वाले बेटे ने जिलाधिकारी के आदेश को चुनौती नहीं दी। बेदखली पर रोक लगाते हुए जिलाधिकारी के आदेश पर हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।