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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ज्ञानेश कुमार को भारत का नया मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) नियुक्त किया है। वे राजीव कुमार की जगह लेंगे, जो मंगलवार को 65 वर्ष की आयु पूरी होने के बाद पद छोड़ देंगे।
पहले मुख्य चुनाव आयुक्त जो नए कानून के तहत नियुक्त हुए
ज्ञानेश कुमार पहले ऐसे मुख्य चुनाव आयुक्त बने हैं जिनकी नियुक्ति चुनाव आयुक्तों के चयन से जुड़े नए कानून के तहत हुई है। इस चयन प्रक्रिया का नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। चयन समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल थे।
कौन हैं ज्ञानेश कुमार?
ज्ञानेश कुमार एक पूर्व आईएएस अधिकारी हैं, जो केरल कैडर से आते हैं। उन्होंने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी.टेक किया है। इसके अलावा, उन्होंने आईसीएफएआई, इंडिया से बिजनेस फाइनेंस और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका से एनवायरनमेंटल इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की है।
उनके परिवार में भी प्रशासनिक सेवाओं का प्रभाव है। उनके बेटे, बेटी और दामाद सभी आईएएस अधिकारी हैं। वे 31 जनवरी 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे।
महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का अनुभव
ज्ञानेश कुमार ने केंद्र और राज्य सरकार में कई अहम पदों पर काम किया है। उन्होंने रक्षा मंत्रालय में संयुक्त सचिव, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव और अतिरिक्त सचिव, संसदीय कार्य मंत्रालय में सचिव और सहकारिता मंत्रालय में सचिव के रूप में सेवाएं दी हैं।
उनका कार्यकाल कई महत्वपूर्ण घटनाओं से जुड़ा रहा है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, अयोध्या में राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना में भी वे शामिल रहे।
आईएसआईएस के कब्जे से भारतीयों को बचाने में निभाई भूमिका
2014 में जब वे दिल्ली में केरल सरकार के रेजिडेंट कमिश्नर थे, तब उन्हें इराक में फंसे भारतीय नागरिकों को बचाने की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने आईएसआईएस आतंकियों के चंगुल से 46 नर्सों को बचाने के अभियान का नेतृत्व किया था। इसके अलावा, 183 भारतीयों को सुरक्षित वापस लाने में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।
उनका कार्यकाल और आगामी चुनाव
ज्ञानेश कुमार का कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा। इस दौरान वे 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव, 2026 में केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव भी कराएंगे।
भविष्य में उनकी जिम्मेदारियां
मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में उनकी भूमिका चुनौतीपूर्ण होगी। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी। इसके साथ ही, चुनाव सुधार और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए भी उनसे उम्मीदें रहेंगी।