
राज्य में अगले साल की शुरुआत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर चुनाव मशीनरी खासी मशक्कत करेगी। अब तक राज्य में विधानसभा चुनाव का मतदान प्रतिशत 60 के आसपास रहा है जिसे इस बार बढ़ाकर 70 से 75 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस अभियान में आशा बहुएं, एनएएम, शिक्षा मित्र, पंचायत अधिकारी, शिक्षक आदि जुटाए जाएंगे।
प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में अब ऐसे विधानसभा क्षेत्र, मतदान केंद्र और जिले छांटे जा रहे हैं जहां पिछले विस चुनावों में मतदान का प्रतिशत कम रहा है। इन जगहों पर बूथ अवेयरनेस ग्रुप, मतदाता जागरूकता क्लब, शिक्षण संस्थाएं, निर्वाचन साक्षरता साथी सक्रिय किये जाएंगे। आमतौर पर ग्रामीण इलाकों की अपेक्षा शहरी क्षेत्रों में ही मतदान का प्रतिशत कम रहा है।
मतदान प्रतिशत बढ़ाने का यह अभियान पिछले दो दिनों के दरम्यान केंद्रीय निर्वाचन आयोग में हुई कार्यशाला में दिये गये निर्देशों के अनुपालन के क्रम में शुरू किया जाएगा। इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश सहित उन पांच राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी व अन्य अफसर शामिल हुए जहां अगले साल मार्च-अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने हैं।
जिन क्षेत्रों में महिला और पुरुष मतदाताओं का अनुपात कम है, वहां इसे बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही सभी क्षेत्रों में सर्विस मतदाताओं की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के परिणाम देखे जाएं तो 12 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 से 50 फीसदी के बीच मतदान हुआ था। 184 विधानसभा सीटों में 51 से 60 फीसदी तक मतदान हुआ था।
इसी प्रकार 2019 के लोकसभा चुनाव में 21 सीटें ऐसी हैं, जहां 40 से 50 फीसद के बीच मतदान हुआ था। एक सीट में 40 प्रतिशत से भी कम मतदान हुआ था। इस अभियान में दिव्यांग मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने और मतदान करवाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करने पर भी खासा ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा वृद्धजनों, महिलाओं और युवाओं को भी मतदान के लिए प्रेरित किया जाएगा।