प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अमेरिका के दो दिवसीय दौरे को सफलतापूर्वक समाप्त किया, जहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। इस बैठक में व्यापार, टैरिफ, 26/11 हमले के आरोपी का प्रत्यर्पण, रूस-यूक्रेन युद्ध, एफ-35 फाइटर जेट की खरीद और भारत-चीन सीमा विवाद जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई।
MEGA साझेदारी का नया विजन
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-अमेरिका संबंधों को “MEGA पार्टनरशिप” करार देते हुए दोनों देशों के साझा आर्थिक विकास और वैश्विक नेतृत्व की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
“राष्ट्रपति ट्रंप अक्सर ‘MAGA – Make America Great Again’ की बात करते हैं। इसी तरह, भारत ‘विकसित भारत’ की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसे अमेरिकी संदर्भ में ‘MIGA – Make India Great Again’ कहा जा सकता है। भारत और अमेरिका मिलकर एक ‘MEGA पार्टनरशिप’ बना रहे हैं,” पीएम मोदी ने कहा।
2030 तक $500 बिलियन का व्यापार लक्ष्य
भारत और अमेरिका ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक $500 बिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देश संयुक्त विकास, उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण पर जोर देंगे।
“आज हमने यह लक्ष्य तय किया है कि 2030 तक भारत और अमेरिका का व्यापार $500 बिलियन से अधिक हो जाएगा। हमारी टीमें जल्द ही एक पारस्परिक लाभकारी व्यापार समझौते को अंतिम रूप देंगी,” पीएम मोदी ने कहा।
भारत को एफ-35 फाइटर जेट्स बेचेगा अमेरिका
रक्षा क्षेत्र में बड़ी साझेदारी को चिह्नित करते हुए ट्रंप ने घोषणा की कि अमेरिका भारत को एफ-35 स्टील्थ फाइटर जेट्स बेचेगा। यह सौदा भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा जो इस उन्नत लड़ाकू विमान का संचालन कर रहे हैं।
“इस साल से, हम भारत को सैन्य उपकरणों की बिक्री में कई अरब डॉलर की वृद्धि करेंगे। इसके साथ ही, हम भारत को एफ-35 स्टील्थ फाइटर्स उपलब्ध कराने की दिशा में भी आगे बढ़ रहे हैं,” ट्रंप ने कहा।
भारत खरीदेगा $25 बिलियन का अमेरिकी ऊर्जा उत्पाद
ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाते हुए भारत अमेरिका से $25 बिलियन तक का ऊर्जा आयात करेगा।
“पिछले साल हमने अमेरिका से लगभग $15 बिलियन मूल्य की ऊर्जा खरीदी थी। यह आंकड़ा जल्द ही $25 बिलियन तक पहुंच सकता है,” भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया।
भारत-चीन सीमा विवाद पर अमेरिका की मध्यस्थता की पेशकश
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर मध्यस्थता की पेशकश की और तनाव कम करने का आह्वान किया।
“मैं भारत और चीन की सीमा पर हो रही झड़पों को देखता हूं, जो काफी गंभीर हैं। यदि मैं इसमें मदद कर सकता हूं, तो मुझे खुशी होगी, क्योंकि यह संघर्ष समाप्त होना चाहिए,” ट्रंप ने कहा।
अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर पीएम मोदी की टिप्पणी
प्रधानमंत्री मोदी ने अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर कहा कि भारत अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अपने नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है।
“जो लोग किसी अन्य देश में अवैध रूप से रहते हैं, उनके पास वहां रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। यदि अमेरिका में कोई भारतीय अवैध रूप से रह रहा है और वह प्रमाणित भारतीय नागरिक है, तो भारत उसे वापस लेने के लिए तैयार है,” पीएम मोदी ने कहा।
26/11 हमले के आरोपी का प्रत्यर्पण मंजूर
अमेरिका ने मुंबई हमले (26/11) के आरोपी ताहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी।
“आज, मैं यह घोषणा करते हुए प्रसन्न हूं कि मेरी सरकार ने मुंबई आतंकी हमले के एक प्रमुख साजिशकर्ता को भारत को सौंपने की मंजूरी दी है। वह अब भारत में न्याय का सामना करेगा,” ट्रंप ने कहा।
टैरिफ पर पारस्परिक रुख अपनाएगा अमेरिका
पीएम मोदी की यात्रा के बावजूद, ट्रंप ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाने के अपने फैसले को नहीं बदला।
“हम एक पारस्परिक राष्ट्र हैं। यदि भारत या कोई अन्य देश हम पर कम टैरिफ लगाता है, तो हम भी उन पर वही टैरिफ लगाएंगे,” ट्रंप ने कहा।
उन्होंने BRICS देशों को अमेरिकी डॉलर के विकल्प की तलाश करने पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी भी दी।
रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख
पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कहा कि भारत शांति के पक्ष में है।
“मैं हमेशा रूस और यूक्रेन के नेताओं के संपर्क में रहा हूं। कई लोगों को यह गलतफहमी है कि भारत तटस्थ है, लेकिन मैं स्पष्ट कर दूं कि भारत तटस्थ नहीं है। हम शांति के पक्ष में हैं,” पीएम मोदी ने कहा।
उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की संघर्ष समाप्त करने के प्रयासों की सराहना की और राजनीतिक संवाद को ही समाधान का रास्ता बताया।
“जब राष्ट्रपति पुतिन मेरे साथ थे, तब मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि ‘यह युद्ध का समय नहीं है।’ मेरा आज भी यही विश्वास है कि युद्ध का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं, बल्कि वार्ता की मेज पर निकलता है,” मोदी ने कहा।
निष्कर्ष
मोदी-ट्रंप बैठक ने भारत-अमेरिका संबंधों को एक नए स्तर पर पहुंचाया, जिसमें व्यापार, रक्षा, ऊर्जा और वैश्विक स्थिरता पर अहम समझौतों की नींव रखी गई। दोनों देशों ने अपनी साझेदारी को “MEGA पार्टनरशिप” बताते हुए एक मजबूत और टिकाऊ सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।