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आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक अभियान: केंद्र सरकार ने 7 सांसदों को सौंपी भारत की कूटनीतिक जिम्मेदारी

नई दिल्ली: आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी नीति को वैश्विक मंच पर पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने सात सांसदों की एक सर्वदलीय टीम गठित की है। इन सांसदों में कांग्रेस नेता शशि थरूर और शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे जैसे प्रमुख नेता शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को इस अभियान की घोषणा की और कहा कि ये सांसद भारत का “सशक्त संदेश” लेकर विभिन्न देशों की यात्रा पर जाएंगे।

रिजिजू ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “जब सबसे ज्यादा ज़रूरत होती है, भारत एकजुट खड़ा होता है। सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही प्रमुख साझेदार देशों की यात्रा करेंगे, आतंकवाद के प्रति हमारी ‘शून्य सहिष्णुता’ की साझा भावना को लेकर।”

यह कदम हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद किए गए ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में उठाया गया है। इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए सीमापार स्थित आतंकी ढांचे को निशाना बनाया था। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, यह एक सटीक और लक्षित कार्रवाई थी, जिसके बाद पाकिस्तान की ओर से जवाबी उकसावे की घटनाएं भी देखी गईं।

सरकार का यह कदम पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की कोशिशों को निष्फल करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, ये प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही यात्रा पर रवाना हो सकते हैं। इसका उद्देश्य दुनिया भर में भारत के उस दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना है जिसमें वह खुद को सीमापार प्रायोजित आतंकवाद का शिकार बताता है।

विदेश मंत्रालय और अन्य संबंधित विभागों के समन्वय में इन सांसदों को विदेश भेजा जाएगा, जहां वे भारत के पक्ष को मजबूती से सामने रखेंगे। भारतीय दूतावास इन टीमों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि कूटनीतिक प्रभाव और मजबूत हो।

यह पहली बार है जब भारत सरकार ने किसी संवेदनशील सुरक्षा मुद्दे जैसे कश्मीर और आतंकवाद को लेकर सर्वदलीय सांसदों की टीम विदेश भेजने का निर्णय लिया है। इस प्रकार की दुर्लभ द्विदलीय एकजुटता यह संकेत देती है कि भारत, पाकिस्तान आधारित आतंकवाद से होने वाली चुनौतियों को लेकर विश्व समुदाय को एकजुट करना चाहता है।

सांसदों को विदेश में अन्य सरकारों और सांसदों को भारत में हुए पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी देना होगा। वे इस बात पर जोर देंगे कि ये आतंकी हमले पाकिस्तान से संचालित संगठनों द्वारा किए गए हैं और दशकों से भारत राज्य प्रायोजित आतंकवाद का सामना कर रहा है।

बातचीत के मुख्य बिंदुओं में भारत की पुरानी शिकायतें, वैश्विक सहयोग की आवश्यकता, और उकसावे के बावजूद भारत की जिम्मेदार सैन्य कार्रवाई की प्रतिबद्धता शामिल होंगी।

यह राजनयिक अभियान भारत की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करना चाहता है और साथ ही अपने संप्रभु अधिकारों की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करने की क्षमता को भी दर्शाना चाहता है।

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