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Uber, Ola को टक्कर देने आ रही सरकार की ‘सहकार टैक्सी’, ड्राइवरों को मिलेगा सीधा फायदा

सरकार जल्द ही ‘सहकार टैक्सी’ नामक एक नई राइड-हेलिंग सेवा शुरू करने जा रही है, जिससे ड्राइवरों को बिचौलियों के बिना सीधा लाभ मिलेगा।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस योजना की घोषणा करते हुए बताया कि ‘सहकार टैक्सी’ एक सहकारी मॉडल पर आधारित सेवा होगी, जिसमें दोपहिया, टैक्सी, रिक्शा और अन्य चार पहिया वाहनों को पंजीकृत करने की सुविधा दी जाएगी। इस पहल का उद्देश्य ओला और उबर जैसी सेवाओं के विकल्प के रूप में एक पारदर्शी और लाभकारी मंच तैयार करना है, जिससे ड्राइवरों की आमदनी पर किसी अन्य कंपनी का नियंत्रण न हो।

प्रधानमंत्री के ‘सहकार से समृद्धि’ विजन से प्रेरित

लोकसभा में बोलते हुए अमित शाह ने कहा, “यह सिर्फ एक नारा नहीं है। सहकारिता मंत्रालय पिछले साढ़े तीन साल से इसे धरातल पर उतारने के लिए लगातार काम कर रहा है। कुछ ही महीनों में एक प्रमुख सहकारी टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी, जिससे ड्राइवरों को सीधा लाभ मिलेगा।”

ओला-उबर पर बढ़ती निगरानी

सरकार का यह कदम ओला और उबर जैसी प्रमुख राइड-हेलिंग कंपनियों पर बढ़ती निगरानी के बीच आया है। हाल ही में इन कंपनियों पर भेदभावपूर्ण किराया नीति अपनाने के आरोप लगे थे।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने ओला और उबर को नोटिस जारी किया, जब खबरें आईं कि आईफोन और एंड्रॉइड फोन से की गई बुकिंग के लिए अलग-अलग किराए दिखाए जा रहे हैं।

हालांकि, ओला ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, “हम सभी ग्राहकों के लिए समान मूल्य निर्धारण नीति का पालन करते हैं और उपयोगकर्ता के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम के आधार पर किराए में भेदभाव नहीं करते।”

उबर ने भी आरोपों को नकारते हुए कहा कि, “हम यात्रियों के फोन मॉडल के आधार पर कीमतें निर्धारित नहीं करते। हम CCPA के साथ सहयोग कर मामले को स्पष्ट करने के लिए तैयार हैं।”

सोशल मीडिया पर उठा विवाद

यह विवाद दिसंबर 2024 में तब तेज हुआ, जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में दिखाया गया कि एक ही उबर राइड के लिए दो अलग-अलग मोबाइल फोनों पर अलग-अलग किराया दिखाया गया।

सरकार ने जांच का दायरा बढ़ाया

उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे “अनुचित व्यापार प्रथा” करार दिया और घोषणा की कि सरकार अब अन्य सेक्टरों में भी मूल्य निर्धारण नीतियों की जांच करेगी, जिसमें फूड डिलीवरी और ऑनलाइन टिकटिंग प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को संभावित शोषणकारी नीतियों से बचाना है।

‘सहकार टैक्सी’ योजना सरकार की इसी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है, जिससे ड्राइवरों को सीधा लाभ मिलेगा और उपभोक्ताओं के लिए भी अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष सेवा उपलब्ध होगी।

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