
नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 3 जून को एक अध्यादेश जारी कर जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन किया है, जिसके तहत केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में 85 प्रतिशत आरक्षण लागू किया गया है। इसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए निर्धारित 10 प्रतिशत आरक्षण को शामिल नहीं किया गया है। इस संबंध में कानून मंत्रालय ने 2 जून को अधिसूचना जारी की थी।
गृह मंत्रालय द्वारा पहले किया गया था अधिनियम में संशोधन
इससे पहले गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन कर इसे लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश पर लागू किया था। अब राष्ट्रपति द्वारा जारी “लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियमन 2025” के तहत यह प्रावधान लद्दाख में औपचारिक रूप से लागू कर दिया गया है।
क्या कहता है नया अध्यादेश?
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है: “इस शर्त के साथ कि कुल आरक्षण किसी भी स्थिति में 85 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण शामिल नहीं होगा।”
यह अध्यादेश 2005 के अधिनियम के अन्य प्रावधानों में भी संशोधन करता है, जिनमें पदों की रिक्तियों को आगे बढ़ाने, पदोन्नति में आरक्षण, और व्यावसायिक संस्थानों में आरक्षण से जुड़े हिस्से शामिल हैं।
आरक्षण का विस्तृत वर्गीकरण
स्थानीय समाचार पत्र ग्रेटर कश्मीर के अनुसार, संशोधित आरक्षण व्यवस्था में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए 80 प्रतिशत, नियंत्रण रेखा (LoC) के पास रहने वाले निवासियों के लिए 4 प्रतिशत, और अनुसूचित जातियों (SC) के लिए 1 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित किया गया है।
पृष्ठभूमि: जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम
PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च के अनुसार, जुलाई 2023 में लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक पेश किया गया था। यह अधिनियम 2004 के जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन करता है, जो अनुसूचित जातियों, जनजातियों और सामाजिक व शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (OBC) के लिए नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण प्रदान करता है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यदि किसी भर्ती प्रक्रिया के दौरान निर्धारित श्रेणियों के लिए पर्याप्त उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होते हैं, तो पद रिक्त रहेंगे और उन्हें अगली भर्ती प्रक्रिया तक आगे बढ़ाया जाएगा। ऐसे पद केवल तभी अनारक्षित किए जाएंगे जब वे तीन साल तक खाली रहें।
कानून मंत्रालय की अधिसूचना में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ये प्रावधान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के तहत आने वाले स्थानीय या अन्य प्राधिकरणों (कैंटोनमेंट बोर्ड को छोड़कर) में लागू होंगे।