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भारत में मानसून का कहर: जम्मू-कश्मीर में मौतों का आंकड़ा 41 तक पहुँचा, उत्तर भारत के बड़े हिस्से डूबे

लगातार हो रही बारिश और बाढ़ ने उत्तर भारत के कई राज्यों में तबाही मचा दी है। जम्मू-कश्मीर में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें से 34 जानें वैष्णो देवी भूस्खलन में गईं। बारिश में हल्की कमी आने से राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी आई है।

पंजाब में भारी बारिश और बाढ़ के कारण एनडीआरएफ, सेना और अन्य एजेंसियों ने बचाव कार्य तेज कर दिए हैं। हिमालय से निकलने वाली बर्फ़ीली नदियाँ और छोटे-छोटे नाले उफान पर हैं, जिसके चलते स्कूल बंद करने पड़े और ट्रेनों की आवाजाही रद्द कर दी गई। गुरदासपुर के जवाहर नवोदय विद्यालय में फंसे 381 छात्र और 70 शिक्षक एनडीआरएफ व बीएसएफ की मदद से निकाले गए।

हिमाचल प्रदेश में लगातार भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने स्थिति गंभीर बना दी है। चंबा में मणिमहेश यात्रा पर निकले हजारों यात्री सड़कें टूटने के कारण फंसे हुए हैं। राज्य में 584 सड़कें बंद हैं और कई जिलों से रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।

दिल्ली में अगस्त इस साल का सबसे ज्यादा बरसात वाला महीना साबित हुआ है। सामान्य से 60% अधिक बारिश दर्ज हुई। यमुना नदी का जलस्तर बुधवार सुबह 204.61 मीटर पर पहुँच गया, जो चेतावनी स्तर से ऊपर है।

ओडिशा, कर्नाटक और तेलंगाना में भी भारी बारिश ने जनजीवन ठप कर दिया। ओडिशा में बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव ने मूसलाधार बारिश कराई, जबकि बेंगलुरु में सड़कों पर यातायात रेंगता रहा।

छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में भीषण बारिश और बाढ़ से 5 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया गया। दंतेवाड़ा, सुकमा और बीजापुर जैसे जिलों में सैकड़ों घर तबाह हो गए।

उत्तर प्रदेश में बाढ़ का खतरा गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर बढ़ने से बढ़ गया है। 17 जिलों में राहत कार्य तेज किए गए हैं और 2.45 लाख से ज्यादा लोग सुरक्षित जगहों पर पहुँचाए गए हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बना दबाव भले ही पश्चिम बंगाल पर सीधा असर न डाले, लेकिन सक्रिय मानसूनी रेखा के कारण अगले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है।

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