
आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के पालासा मंडल स्थित कसीबुग्गा में शनिवार सुबह वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में मची भगदड़ ने भयावह रूप ले लिया। इस हादसे में कम से कम 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जिनमें 8 महिलाएँ और एक बच्चा शामिल हैं, जबकि 25 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों की संख्या और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
एकादशी पर उमड़ी 10,000 से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़
आम तौर पर शनिवार को मंदिर में लगभग 3,000 श्रद्धालु पहुंचते हैं, लेकिन एकादशी होने के कारण इस बार संख्या 10,000 से अधिक हो गई। एकादशी हिंदू धर्म का अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है, जब श्रद्धालु उपवास रखकर भगवान विष्णु की आराधना करते हैं।
चार महीने पहले खोले गए इस निजी मंदिर को हरी मुकुंद पांडा ने तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर की तर्ज पर 12 एकड़ में बनवाया है। मंदिर निजी प्रबंधन के अधीन है और एंडॉवमेंट विभाग में पंजीकृत नहीं है। आयोजकों ने कार्यक्रम के लिए कोई अनुमति नहीं ली थी, जबकि परिसर का निर्माण कार्य अभी पूरा भी नहीं हुआ था।
एक ही गेट से प्रवेश-निकास बना हादसे का कारण
जिले के पुलिस अधीक्षक केवी महेश्वर रेड्डी के अनुसार भगदड़ की शुरुआत तब हुई जब कुछ श्रद्धालु एग्जिट गेट से अंदर घुसने लगे। मंदिर पहली मंजिल पर बना है और 20 सीढ़ियाँ चढ़कर जाना होता है। सीढ़ियों पर लगी कमजोर रेलिंग टूटने से एक व्यक्ति नीचे गिरा और अफरा-तफरी मच गई। भीड़ के धक्का-मुक्की में कई लोग कुचले गए।
पुलिस ने लापरवाही के आरोप में मंदिर प्रबंधन के कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है।
घायल श्रद्धालुओं का इलाज जारी
घायलों को पालासा के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।
मंदिर के संस्थापक हरी मुकुंद पांडा ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने की उन्हें उम्मीद नहीं थी। उन्होंने हादसे को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया।
नेताओं ने जताया शोक, मुआवजे का ऐलान
मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने घटना को “बेहद हृदयविदारक” बताया और अधिकारियों को घायलों के उपचार में तेजी लाने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PMNRF से मृतकों के परिजनों को ₹2 लाख और घायलों को ₹50,000 की सहायता राशि देने की घोषणा की।
विपक्ष का आरोप—सरकार की लापरवाही से हुआ हादसा
पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि यह घटना सरकार की गंभीर लापरवाही का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी वैकुंठ एकादशी पर तिरुपति में 6 और सिम्हाचलम मंदिर में 7 श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है, लेकिन सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।
तिरुपति में भी हुआ था बड़ा हादसा
इस वर्ष जनवरी में तिरुपति में वैकुंठद्वार दर्शन टोकन वितरण के दौरान भगदड़ में 6 लोगों की मौत हुई थी। अधिकारियों की खराब भीड़ प्रबंधन नीति को इसकी वजह माना गया था।