भगवान राम भाजपा सरकार की राजनीति के केंद्र में भी आते हुए दिखाई दे रहे हैं। 31 जनवरी को बजट सत्र की शुरुआत के पहले जब प्रधानमंत्री ने मीडिया से बात की, उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत ‘राम-राम’ से की। यह संकेत यह समझने के लिए पर्याप्त है कि सरकार राम के मुद्दे को बजट सत्र में जमकर भुनाएगी। राम केंद्रित पर्यटन को बढ़ावा देकर वह लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना भी पेश कर सकती है। इससे पीएम मोदी की चुनावी नाव को पार लगाने में भी मदद मिल सकती है। बाद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन में भी राम को जगह मिली। उन्होंने बताया कि राम मंदिर निर्माण का सपना सदियों से देखा जा रहा था, लेकिन उनकी सरकार (नरेंद्र मोदी सरकार) के कार्यकाल में इस सपने को पूरा किया जा सका। राष्ट्रपति के संबोधन में राम के मुद्दे के आने से ही यह साफ हो गया है कि अंतरिम बजट के साथ-साथ मुख्य बजट में भी इसका महत्त्व बना रहेगा।