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MBBS की पढ़ाई कर सरकारी मेडिकल कॉलेजों से डॉक्टर्स हो गए गायब

उत्तराखंड के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की राज्य कोटे की सीटों पर प्रवेश के लिए कई युवाओं ने प्रदेश में निवास संबंधी फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। डॉक्टर बनने के बाद ये युवा अस्पतालों से तो गायब चल ही रहे हैं लेकिन अब पत्राचार के पते पर भी नहीं मिल रहे हैं।

 दरअसल मेडिकल कॉलेजों ने बांड वाले गायब डॉक्टरों की सूची जिला प्रशासन को दी है। जिला प्रशासन ने नोटिस भेजने के लिए जब डॉक्टरों का पता लगाया तो उनके द्वारा दिए गए पते गलत मिल रहे हैं। पूछताछ में स्थानीय लोगों का कहना है कि उस नाम का कोई व्यक्ति या परिवार ही नहीं रहता है।

कॉलेज प्राचार्य के गांव का ही पता दे दिया

प्राचार्य डॉ सीएमएस रावत ने बताया कि उन्होंने पूरा गांव छान मारा है लेकिन उस नाम का न कोई युवक रहता है और न उनका परिवार ही पहले से रहता है। ऐसे में युवक के फर्जी दस्तावेजों की बात खुल गई है।

तहसीलदार की रिपोर्ट पते पर नहीं रहती डॉक्टर

यूएस नगर के तहसीलदार ने बांड का उल्लंघन कर गायब हुई एक डॉक्टर के संदर्भ में रिपोर्ट दी है कि यूएस नगर के शक्तिनगर महेशपुरा के दिए गए पते पर डॉक्टर नहीं रहती है। डॉक्टर के माता पिता भी गांव में नहीं रहते और उनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। ऐसे में डॉक्टर को नोटिस सर्व नहीं हो पा रहा है।

कई अन्य डॉक्टरों पर संदेह

चिकित्सा शिक्षा विभाग के सूत्रों के अनुसार बांड वाले कई ऐसे डॉक्टर हैं जिनके दस्तावेजों को लेकर संदेह है। दरअसल उनकी पूरी पढ़ाई अन्य राज्यों की है। ऐसे में उनका स्थाई निवास व अन्य दस्तावेज राज्य में कैसे बन गए। इसमें विभिन्न जिलों के प्रशासन की भी लापरवाही है। बिना जांच के ही दस्तावेज बन जाने की वजह से यह हो रहा है।

मेडिकल में फर्जीवाड़े का पुराना इतिहास

राज्य में मेडिकल प्रवेश में फर्जीवाड़े का इतिहास पुराना है। श्रीनगर और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में कई ऐसे छात्रों ने प्रवेश ले लिया था जो मुन्ना भाई थे। बाद में श्रीनगर से 2008 बैच के ऐसे 16 छात्रों को निकालना पड़ा था। सूत्रों ने बताया कि उसी बैच के कई छात्र अब डॉक्टर बनने के बाद बांड से बचने के लिए गायब चल रहे हैं।

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