योगी सरकार अपने शासनकाल की आखिरी देव दीपावली को भी भव्य बनाने की तैयारी में है। देव दीपावली के दौरान गंगा के तटों के दूसरी ओर रेती पर सैण्ड आर्ट वर्क करवाया जाएगा। अधिकतम 22 बजड़े व नाव इस दौरान चलाए जाएंगे। वाराणसी में इस वर्ष सरकार 15 लाख दीये जलाने की तैयारी में है।
देव दीपावली का त्योहार 18 नवम्बर को मनाया जाना है। इसके लिए पर्यटन विभाग ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। नदी के बीचोंबीच से दीयों की खूबसूरती देखने के लिए नावों व बजड़ों की व्यवस्था की जा रही है। नान मोटराइज्ड सजे हुए अधिकतम छह बजड़े चलाए जाने की योजना है, जिसमें 60 व्यक्ति प्रति बजड़ा बैठने की व्यवस्था हो। वहीं अधिकतम 16 बड़ी व छोटी नावों को भी चलाया जाएगा।
ढाई लाख में बड़ी और 50 हजार में छोटी नाव हो रही बुक
देवों की दीपावली के लिए काशी तैयार हो रही है। दो साल बाद पर्यटकों की अच्छी आमद की उम्मीद में पर्यटन उद्योग से जुड़े चेहरे भी मुस्कुरा रहे हैं। वहीं, नावों की बुकिंग से नाविक समाज प्रसन्न है। नौका बुकिंग में पांच हजार प्रतिशत की हाइक है। वर्ष के अन्य दिनों में पांच हजार रुपये में बुक होने वाले बजड़े (बड़ी नाव) 15 दिन पहले ही ढाई लाख रुपये तक में बुक हो चुके हैं।
कोरोना काल के बाद शहर उत्सवी मूड में आ चुका है तो नाविकों ने भी पर्यटकों को लुभाने के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। बजड़ों पर बिजली की झालरों की मनमोहक सजावट देखी जा रही है। कुछ नाविक पर्यटकों के लिए बोतल बंद पानी और स्नैक्स की व्यवस्था भी कर रहे हैं।
दिल्ली की एक कंपनी ने वाराणसी के किसी कर्मचारी के जरिए बुक कराई है। हनुमान घाट के मोहन माझी बताते हैं कि टूरिस्ट गाइड या टूर प्लानर के जरिए उनकी अधिकांश बुकिंग होती है। बजड़ों से देव दीपावली का आनंद लेने वाले ज्यादातर बड़े शहरों के लोग होते हैं। बताया कि बुकिंग लगातार आ रही है। आरती के समय की बुकिंग हो जाने के बाद कुछ कम रेट में शाम 7 बजे से 9 या 10 बजे तक की बुकिंग ली जा रही है।
पीएम के आगमन ने चिंता में डाला
देव दीपावली पर अच्छी कमाई कर लेने वाले नाविक काशी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की सुर्खियों से थोड़ी चिंता में हैं। उनका कहना है कि अगर प्रधानमंत्री आते हैं तो आरती के समय गंगा में नौकाओं का संचालन रोक दिया जाता है। ऐसे में बुकिंग पर प्रभाव पड़ता है। एडवांस देने के बाद आरती न देख पाने की वजह से पार्टी कई बार पूरा पेमेंट नहीं करती। कोरोना के कारण पिछले वर्ष भी कमाई कम हुई थी, ऐसे में नाविकों के माथे पर बल देखे जा सकते हैं।